रायपुर। प्रधानमंत्री जनकल्याण योजना जागरूकता अभियान के छत्तीसगढ़ प्रदेश मीडिया प्रमुख शिव दत्ता ने राज्य में शराब कारोबारियों को फीस में राहत तथा बच्चों की स्कूल फीस के नाम पर निजी स्कूलों को लूट की छूट को सरकार की संवेदनशीलता के विरुद्ध निजी स्कूलों की हद दर्जे की अंधेरगर्दी बताते हुए कहा है कि अफसोस की बात यह भी है कि जिस विपक्ष को लोकतंत्र में जनता के हितों का चौकीदार माना जाता है, जिस पर सत्ता की जनविरोधी नीतियों का विरोध करने का जिम्मा होता है, वह शायद अपनी जिम्मेदारी पूरे समर्पण के साथ नहीं निभा रहा है। सरकार का आबकारी विभाग शराब बेचने वाले बार की फीस माफ कर रहा है क्योंकि कोरोना काल में उन्हें नुकसान हुआ। बार खोलने का समय भी बढ़ा दिया गया। सरकार को शराब कारोबारियों के नुकसान की फिक्र है लेकिन कोरोना काल में बंद निजी स्कूलों ने फीस वसूली। आधा एक घंटे की ऑनलाइन क्लास लगाकर बच्चों के अभिभावकों से शिक्षण शुल्क वसूला गया तब सरकार की आंखों में यह दिखा न विपक्ष की। इसकी शिकायत पर कहीं कोई सुनवाई नहीं है। सरकार ने शराब कारोबार का हित देखा और उसे लायसेंस फीस में राहत दे दी। समझ में आता है कि सरकार ने व्यावसायिक नजरिये से बार वालों पर कृपा बरसा दी। मगर निजी स्कूलों को लूट की छूट देने के पीछे कौन सी मंशा है? क्या सरकार को छोटे छोटे बच्चों की कोई फिक्र नहीं है। वह निजी स्कूलों की तानाशाही पर संज्ञान ले। विपक्ष भी निजी स्कूलों और शराब प्रबंधन से सध गया जान पड़ता है क्योंकि वह भी न तो शराब कारोबार पर सरकारी रहमत की मुखालफत कर रहा और न ही स्कूलों में मची लूट का विरोध कर रहा। सबसे ज्यादा हैरत की बात तो यह है कि पालकों के हितैषी बनने के नाम पर संस्थागत नेतागिरी चलाने वाले भी लापता हैं।