नई दिल्ली- सालों तक मुकेश अंबानी और गौतम अडानी एक-दूसरे के इर्द-गिर्द घूमते रहे, लेकिन अब अरबपति मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के नेतृत्व वाले ग्रुप पहली बार डायरेक्ट कम्पीटिशन में होंगे। जब वे इस महीने के अंत में पांचवीं पीढ़ी या 5G टेलीकॉम सर्विस प्रदान करने में सक्षम एयरवेव की नीलामी में भाग लेंगे। राजनीतिक रूप से अच्छी तरह से जुड़े दोनों गुजराती व्यवसायियों की प्रतिद्वंद्विता के बावजूद उनके बीच बाजार में पूरी तरह टकराव नहीं दिखाई देगा।
अडानी ग्रुप ने शनिवार को टेलीकॉम स्पेक्ट्रम हासिल करने की दौड़ में शामिल होने की पुष्टि तो की, लेकिन साथ ही कहा कि वह टेलीकॉम स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल हवाई अड्डों से लेकर अपने व्यवसायों का समर्थन करने के लिए एक निजी नेटवर्क के रूप में करेगा। बयान में कहा गया, ‘‘हम हवाईअड्डों, बंदरगाहों और लॉजिस्टिक, बिजली उत्पादन, पारेषण, वितरण और विभिन्न मैन्युफैक्चरिंग कार्यों में बढ़ी हुई साइबर सुरक्षा के साथ ही निजी नेटवर्क समाधान मुहैया कराने के लिए 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग ले रहे हैं।’’
इसका मतलब है कि ग्रुप उपभोक्ता मोबाइल टेलीफोन सेक्टर में प्रवेश नहीं करेगा, जहां अंबानी की रिलायंस जियो सबसे बड़ी कंपनी है। संयोग से, दूरसंचार कंपनियों ने निजी कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करने के लिए गैर-दूरसंचार संस्थाओं को स्पेक्ट्रम के किसी भी प्रत्यक्ष आवंटन का कड़ा विरोध किया था। उनका कहना था कि इससे उनका कारोबार गंभीर रूप से प्रभावित होगा। ये कंपनियां चाहती थीं कि गैर-दूरसंचार कंपनियां उनसे स्पेक्ट्रम लीज पर लें या वे उनके लिए निजी कैप्टिव नेटवर्क स्थापित करें। लेकिन सरकार ने निजी नेटवर्क के पक्ष में फैसला किया।