भाई-बहन की सांप डसने से मौत…अंधविश्वास के चक्कर मे गई जान

GPM- जिले के मरवाही थानांतर्गत ग्राम धुम्माटोला में सांप के काटने से भाई बहन की मौत का मामला सामने आया है। जिन्हें सांप ने डस लिया था। जिसकी जानकारी ना होने के कारण पहले 8 वर्षीय बच्ची की मौत हुई। वहीं अंदरूनी इलाकों में अंधविश्वास हावी होने के कारण परिजन झाड़फूंक में लगे रहे जिससे इलाज में देरी के कारण 12 वर्षीय बच्चे ने भी दम तोड़ दिया।

धुम्माटोला निवासी तोप सिंह के दो बच्चे 8 साल की पुत्री संध्या तथा 12 साल का पुत्र लोकेश घर में सोए हुए थे।पिता ने बच्चों की तबियत खराब होने की शिकायत को लेकर मरवाही अस्पताल एम्बुलेंस से ले जाया गया था। जहां 8 वर्षीय संध्या पोर्ते को अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों के द्वारा मृत घोषित कर दिया गया। वहीं लोकेश के पेट में दर्द की शिकायत थी। मरवाही अस्पताल में प्राथमिक इलाज कर उसकी छुट्टी कर दी गई थी। लेकिन कुछ समय के बाद हालात बिड़गने पर इसे जिला अस्पताल गौरेला में भर्ती कराया गया था। जहां सांप के काटने की वजह से डॉक्टरों ने बिलासपुर रेफेर करने की बात परिजनों से कही लेकिन मृतक के पिता इसे बिलासपुर न ले जाकर अपने घर वापस ले गए और कुछ ही समय बाद लोकेश की भी मृत्यु हो गई।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि मरवाही अस्पताल में धूम्मा टोला से एक लड़का एवम एक लड़की को लाया गया, उसमे से एक बच्चा जो लड़की थी वह ब्राट डेथ था और दूसरे बच्चे का पेट दर्द कर रहा है बताया गया जिसका मृत्यु हो गया। जिस बच्चे का पेट दर्द हो रहा था उसका इलाज गांव में करा रहे थे बाकी किसी भी चीज की जानकारी नही दे पा रहे थे। मरवाही अस्पताल में पेट दर्द का इलाज करके उन्हें ये कहा गया की पेट दर्द के कारण एक बच्चे की मृत्यु हो गई तो बच्चे को जिला अस्पताल ले जाइए वहा और जांच हो जायेगी किंतु घर वाले शव वाहन में ही दोनो बच्चो को घर ले गए। दूसरे दिन सुबह 7 बजे बच्चे को मरवाही अस्पताल फिर ले कर आए जहा बच्चे को सांप काटने के लक्षण थे।

जिसके कारण उसका इलाज चालू किया गया और उसे 18 वायल एंटी स्नेक वेनम लगाया गया। बच्चे की हालत सुधर नहीं रही थी जिसके कारण उसे जिला अस्पताल गौरेला रेफर किया गया। बच्चा गौरेला अस्पताल 8.10 बजे सुबह पहुंचा जहा उसका इलाज चालू किया गया और वहा भी उसे एंटी स्नेक वेनम दिया गया। बच्चे की हालत सुधर नहीं रही थी तो चिकित्सक ने उसे बिलासपुर रेफर करने की सलाह दी परंतु मरीज के परिजन अस्पताल वालो बिना बताए वहा से 10.30 बजे सुबह घर ले गए और उसकी झांड फूक कराने लगे जहां बच्चे की मृत्यु हो गई।

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