विगत अनेक वर्षाे से कान्हा टायगर रिजर्व में विभागीय हाथियों का प्रबंधन किया जा रहा है। इनमें से कुछ हाथियो को देश के विभिन्न हाथी मेलों से क्रय कियगया था, तथा कुछ हाथियों की पैदाइश राष्ट्रीय उद्यान में ही हुई है। प्रांरभ से ही इन हाथियों का कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में प्रमुख उपयोग वनों एवं वन्यप्राणियों की सुरक्षा हेतु गश्ती कार्य में किया जाता रहा है, किन्तु कालान्तर में इनका उपयोग पर्यटन प्रबंधन में भी किया जाने लगा।
हाथी रिजुविनेशन केम्प के दौरान 18 विभागीय हाथियों के स्वास्थ्य की विशेष देख-रेख की जावेगी। इस दौरान सभी महावत एवं चाराकटर विभागीय हाथियांे को पूर्ण आराम के अतिरिक्त उनकी विशेष सेवा में रहेगें तथा हाथियों को अतिरिक्त खुराक/विटामिन्स/मिनरल/फल-फूल आदि परोसे जावेंगे। इस अवसर पर हाथियों की सेवा में लगे समस्त महावतों एवं चाराकटरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जावेगा।
इस अवधि में प्रतिदिन प्रातः चाराकटर द्वारा हाथियों को जंगल से लाकर नहलाकर रिजुविनेशन केम्प में लाया जाता है एवं केम्प में हाथियों के पैर में नीम तेल तथा सिर में अरण्डी तेल की मालिश की जाती है। इसके पश्चात् गन्ना, केला, मक्का, आम, अनानास, नारियल आदि खिलाकर जंगल में छोड़ा जाता है। दोपहर मेें हाथियों को जंगल से पुनः वापस लाकर एवं नहलाकर केम्प मेें लाया जाता है। इसके पश्चात् केम्प में रोटी, गुड नारियल, पपीता खिलाकर उन्हें पुनः जंगल में छोड़ा जाता है।
रिजुविनेशन केम्प के दौरान हाथियों के रक्त के नमूने जांच हेतु लिये जाते है। हाथियों के नाखूनों की ट्रिमिंग, दवा द्वारा पेट के कृमियों की सफाई तथा हाथी दांत की आवश्यतानुसार कटाई की जाती है।
ऐसे केम्प के आयोजन से एक ओर जहां हाथियों में नई ऊर्जा का संचार होता है एवं मानसिक आराम मिलता है, वहीं इन सामाजिक प्राणियों को एक साथ समय बिताने का अनोखा अवसर प्राप्त होता है।