जानिए क्या है ? PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के खिलाफ कारवाई जारी, 100 से ज्यादा गिरफ्तार….आखिर क्या है PFI, इसका का काम क्या है?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ कार्रवाई जारी है। खबर है कि मंगलवार सुबह करीब 170 सदस्यों को हिरासत में लिया गया है। इस दौरान 7 राज्यों में पुलिस ने रेड की है। हाल ही में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 13 राज्यों में छापे मारकर 100 से ज्यादा पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था।

पीएफआई को 2007 में दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों, केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट इन केरल, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु में मनिथा नीति पासराई के विलय के जरिए स्थापित किया गया। दरअसल, केरल के कोझिकोड़ में नवंबर 2006 में एक बैठक का आयोजन हुआ, जहां पर तीनों संगठनों को एक साथ लाने का फैसला किया गया। पीएफआई के गठन की औपचारिक घोषणा 16 फरवरी, 2007 को ‘एम्पॉवर इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के दौरान बेंगलुरू में एक रैली में की गई थी।

PFI का काम क्या है?
स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) पर लगे बैन के बाद सामने आए पीएफआई ने खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में पेश किया है जो अल्पसंख्यकों, दलितों और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ता है। इसने कर्नाटक में कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस की कथित जनविरोधी नीतियों को लेकर अक्सर ही इन पार्टियों को निशाना बनाया है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि मुख्यधारा की ये पार्टियां चुनावों के समय एक दूसरे पर मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए पीएफआई के साथ मिलने का आरोप एक-दूसरे पर लगाती हैं।

पीएफआई ने खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा है। हालांकि, जिस तरह से हिंदू समुदाय के बीच आरएसएस, वीएचपी और हिंदू जागरण वेदिक जैसे दक्षिणपंथी समूहों द्वारा काम किया जाता है। ठीक उसी तरह से पीएफआई भी मुसलमानों के बीच सामाजिक और इस्लामी धार्मिक कार्यों को करता रहा है। पीएफआई अपने सदस्यों का रिकॉर्ड नहीं रखता है और यही वजह है कि इस संगठन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार करने के बाद भी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अपराधों को रोकना कठिन हो जाता है।

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