मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भारत को दुनिया के अनेक देश उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं। भारत दुनिया का नेतृत्व करेगा। प्रेम, सद्भाव, एकता और परस्पर सम्मान का भाव रखने में बहुत शक्ति होती है। नफरत की दीवारें तोड़ कर प्रेम की गंगा बहाना है। सभी मिल कर हिंदुस्तान की प्रगति के लिए कार्य करें। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएँ बिना भेदभाव के सभी के लिए लागू हैं। हम बिना झगड़े और खून-खराबे के साथ बेहतर वातावरण में विकास के लिए मिल कर कार्य करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज शाम स्थानीय छोला क्षेत्र के मन्नत गार्डन में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के “अखण्ड भारत: एक परिचर्चा” और “दीपावली मिलन” समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास की भावना के साथ प्रेम और भाईचारे के साथ मिल कर रहने से अखण्ड भारत को बनाने और मजबूत करने का कार्य हो सकेगा। वर्ष 1947 में भारत का बँटवारा हुआ, लेकिन हमारी संस्कृति, हमारे पूर्वज, हमारी नदियाँ एक हैं। मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना- हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा। हम सभी के लहू का रंग एक है। इसी माटी में पैदा अन्न हमने खाया है। आक्रामक तो बाहर से आए थे। हमारी संस्कृति एक है। हमें अपनी परम्पराओं का सम्मान करना है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का एकता और सद्भाव का संदेश सभी जगह जाना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह विश्वास किया जा सकता है कि विभक्त हुए देश फिर एक होंगे। नफरत की दीवारें खड़ी नहीं होना चाहिए। दंगे और झगड़े नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अनेक लोगों की रोजी-रोटी झगड़ों और फसादों से चलती होगी। मध्यप्रदेश में आपराधिक तत्वों और शांति भंग करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गंभीर अपराधों के लिए सख्त सजा रखी गई है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि हम एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक नहीं भारत का मूल नागरिक बन कर जियें। हम सब हिंदुस्तानी कहलाएँ। सभी को मिल कर एक अखण्ड, शक्तिशाली और आत्म-निर्भर भारत का निर्माण करना है। नये हिंदुस्तान को बनाने के लिए सभी अच्छे और सच्चे भारतीय के रूप में सामने आएँ। शायर अल्लामा इकबाल द्वारा कहा भी गया है “सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा”। श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि हमारे मदरसों में स्वतंत्रता और गणतंत्र दिवस पर कार्यक्रम हो रहे हैं। दरगाहों में सद्भावना और भाईचारे के लिए दीप उत्सव के प्रयास भी लोकप्रिय हो रहे हैं। हमारी भाषाएँ, बोलियाँ और चेहरे एक से हैं। फिर क्या जरूरी है कि हमारी सीमाएँ युद्ध वाली हों, सीमाओं पर शांति क्यों नहीं हो सकती, आतंकवाद और नक्सलवाद से किसी का भला नहीं हुआ। लाखों लोग मरे हैं। हम ऐसी व्यवस्था को समर्थन दें जिसमें न आतंक हो, न घुसपैठ हो और न ही रूपए पैसे और सोने-चांदी की तस्करी हो। श्री इंद्रेश कुमार ने कहा कि इंडोनेशिया की हवाई सेवा का प्रतीक-चिन्ह गरूड़ है। अनेक देशों में भारतीय संस्कृति के प्रतीक-चिन्ह और स्मारक हैं। जब यूरोपियन यूनियन हो सकती है तो भारतीय यूनियन क्यों नहीं हो सकती। आज झगड़ों की नहीं सुलह और समाधान की जरूरत है।
कार्यक्रम में अतिथियों को तुलसी का पौधा भेंट किया गया। शाल, अंगवस्त्र और स्मृति-चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम में मंच के राष्ट्रीय संयोजक श्री मोहम्मद अफजाल, मध्यप्रदेश के संयोजक श्री मोहम्मद फारूख खान, श्री एस.के. मुद्दीन, श्री तपन भौमिक, श्री रमेश शर्मा “गुट्टू भैया” सहित अनेक जन-प्रतिनिधि उपस्थित थे। प्रारंभ में भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। समापन राष्ट्र गान से हुआ।