रायपुर, 26 नवम्बर 2022/ संतान सुख के लिए तरसते हुए दंपत्तियों के लिए दत्तक संतान घर में खुशहाली लेकर आए हैं। अब सूने घर में भी किलकारियां गूंज रही हैं तो वहीं दत्तक अभिभावक अपनी दत्तक संतानों के लिए जैविक संतानों की तरह ही वात्सल्य भाव से भविष्य के सपने संजो रहे हैं। इस संबंध में चर्चा आज राजधानी रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में अंतरराष्ट्रीय दत्तक माह के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में हुई। सम्मेलन का आयोजन केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण नई दिल्ली, छत्तीसगढ़ राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण तथा महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इस दौरान केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण व महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने दत्तक अभिभावकों तथा भावी अभिभावकों को दत्तक ग्रहण विनियम-2022 के प्रावधानों से अवगत कराया। वहीं दत्तक अभिभावकों ने अपनी दत्तक संतानों को लेकर अनुभव साझा किए।
दत्तक ग्रहण पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में अधिकारियों ने बताया कि दत्तक ग्रहण ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से दत्तक बालक उसके जैविक माता-पिता से स्थायी रूप से अलग हो कर सभी अधिकारों/विशेष अधिकारों और उत्तरदायित्वों के साथ अपने दत्तक माता-पिता का जैविक बालक की तरह विधिवत पुत्र/पुत्री बन जाता है। वहीं भावी दत्तक माता-पिता के लिए पात्रता के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि, भावी दत्तक माता या पिता को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रुप से सुदृढ़, वित्तीय रूप से सक्षम, दत्तक ग्रहण के लिए प्रेरित होना चाहिए साथ ही उनके जीवन को जोखिम में डालने वाली चिकित्सा स्थिति/बीमारी नहीं होनी चाहिए। कोई भी भावी दत्तक माता या पिता दत्तक ग्रहण के लिए पंजीयन करा सकता है, चाहे उसकी वैवाहिक स्थिति जो भी हो और भले ही उनकी कोई अपनी जैविक संतान हो या न हो। तीन या तीन से अधिक संतान वाले दंपत्तियों का दत्तक ग्रहण के लिए विचार नहीं किया जाता है। यह शर्त विशेष जरूरतों वाले बालक, कठिनाई से दत्तक ग्रहण किए जाने वाले बालक, नातेदार द्वारा बालक के दत्तक ग्रहण और सौतेले माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण के प्रकरणों में लागू नहीं है। इस दौरान प्रावधानों पर बात करते हुए कहा गया कि, दंपत्ति की स्थिति में पति-पत्नी दोनों की सहमति आवश्यक है। उनके स्थायी वैवाहिक संबंधों को कम-से-कम दो वर्ष पूर्ण होने चाहिए। भावी दत्तक माता या पिता की आयु संबंधी पात्रता की गणना पंजीयन की तारीख से की जाती है।
दत्तक संतान ग्रहण की प्रक्रिया पर चर्चा के दौरान जानकारी दी गई कि, दत्तक संतान की चाह रखने वाले माता या पिता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की वेबसाइट www.cara.nic.in पर लॉग इन कर “केयरिंग्स’ में नि: शुल्क ऑनलाइन पंजीयन करा सकते हैं। इसमें कोई तीन राज्यों के विकल्प का चयन किया जा सकता है। इस राज्य या इन राज्यों के सभी विशिष्ट दत्तक ग्रहण अभिकरणों में उन्हें पंजीकृत माना जाएगा। इच्छा-अनुरुप बालक के विकल्प का चयन किया जाना होता है। गृह अध्ययन रिपोर्ट के लिए अपने निवास के निकटवर्ती विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण का चयन करेंगे। इसके लिए वेबसाइट www.cara.nic.in पर उपलब्ध दस्तावेजों की सूची अपलोड किया जाना अनिवार्य है। चयनित विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेन्सी (SAA) अथवा राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन अभिकरण (SARA) / जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU) के सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा गृह अध्ययन कर प्रतिवेदन केयरिंग्स में ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। गृह अध्ययन के दौरान भावी दत्तक माता-पिता को परामर्श भी दिया जाएगा।
यहां सम्मेलन में अवैध रूप से दत्तक ग्रहण पर चर्चा करते हुए बताया गया कि किसी संस्था, अस्पताल या व्यक्ति के माध्यम से बच्चा अवैध रूप से गोद लेना या देना बाल अधिकारों का हनन एवं कानूनन अपराध है तथा किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम-2015 के अंतर्गत तीन वर्ष तक की कैद या एक लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
दत्तक ग्रहण को लेकर हुए राज्यस्तरीय सम्मेलन में केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की सहायक संचालक श्रीमती रूपांशी पांडेय एवं सीनियर प्रोफेशनल श्री मनीष त्रिपाठी, छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त संचालक श्री नंदलाल चौधरी व उप संचालक श्रीमती श्रुति नेरकर, स्वास्थ्य विभाग के उपसंचालक डॉ. वी.आर. भगत तथा यूनिसेफ की ओर से प्रतिनिधि श्री अभिषेक सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित थे। इनके अलावा छत्तीसगढ़ के सभी जिलों से बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष व सदस्य, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल देखरेख संस्थाओं के अधीक्षक, गैर संस्थागत देखरेख के संरक्षण अधिकारी, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण के समन्वयक तथा जिला स्वास्थ्य व चिकित्सा अधिकारी समेत 10 से अधिक दत्तक अभिभावक दंपत्ति व 20 भावी दत्तक अभिभावक शामिल हुए।
*घर का सूनापन हुआ दूर :*
दत्तक ग्रहण के राज्यस्तरीय सम्मेलन के दौरान एक दत्तक अभिभावक ने बताया कि विवाह को लंबा अरसा गुजर जाने के बावजूद उन्हें संतान सुख नहीं मिल रहा था। घर में किलकारी गूंजने की आस टूट रही थी। इसी दौरान दत्तक ग्रहण को लेकर जानकारी मिली और दंपत्ति ने आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए वर्ष 2016 में एक बिटिया को दत्तक पुत्री के तौर पर ग्रहण किया। आज वह दत्तक पुत्री अपनी प्रतिभा से राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। वहीं इस बिटिया को गोद लेने के लगभग पांच साल बाद दंपत्ति को दो जुड़वा बेटियां हुईं।
इसी तरह एक अन्य दंपत्ति ने बताया कि उनका विवाह वर्ष 2011 में हुआ। विवाह के 8 साल बाद भी जब जैविक संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया की जानकारी ली और मार्च 2021 में एक बेटे को गोद लिया। परिवार ने भी उनके फैसले का स्वागत किया और अब दत्तक पुत्र के घर में आने से घर का सूनापन दूर हो चुका है। नन्हें बालक के साथ दंपत्ति और उनका परिवार अपनी खुशियों के पल बांटते हैं। दत्तक अभिभावक अपने दत्तक पुत्र के लिए भविष्य के सपने भी संजोने लगे हैं।