जेट एयरवेज विमानन कंपनी आखिर 17 महीने बाद भी क्यों नहीं भर पा रहे उड़ान

राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) ने जेट एयरवेज की समाधान योजना को पिछले साल मंजूरी दे दी थी। इसके बाद भारतीय विमानन उद्योग में जेट एयरवेज की वापसी लगभग तय हो चुकी थी। सारी मंजूरियों के बावजूद 17 महीने बाद भी कंपनी के विमान उड़ान नहीं भर सके हैं। आखिर क्या वजह है कि 2018 तक देश की दूसरी सबसे बड़ी विमानन कंपनी रही जेट एयरवेज अपने विमानों को जमीन पर रखने को मजबूर है। जानिए।

25 से अधिक वर्षों के संचालन के बाद जेट एयरवेज गंभीर वित्तीय संकट में घिर गई। तमाम कठिनाइयों की वजह से विमानन कंपनी को 17 अप्रैल 2019 में अपनी सेवा रोकनी पड़ी। इसके बाद, दिवाला प्रक्रिया जून 2019 में शुरू हुई। एनसीएलटी ने पिछले साल 22 जून को जालान-कलरॉक कंसोर्टियम द्वारा प्रस्तुत समाधान योजना को मंजूरी दे दी। फिर एयरलाइन ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से अपना एयर ऑपरेटर प्रमाणपत्र प्राप्त भी प्राप्त कर लिया।

कंपनी तब से अब तक 200 से अधिक कर्मचारियों को काम पर वापस रख चुकी है। हालांकि, एयरलाइन के स्वामित्व हस्तांतरण को लेकर बैंकों और जालान-कलरॉक कंसोर्टियम के बीच गतिरोध है और यह जेट एयरवेज के संचालन में अवरोधक बना हुआ है।

जालान-कालरॉक कंसोर्टियम में यूएई में रहने वाले प्रवासी भारतीय मुरारी लाल जालान और वहां के व्यवसायी फ्लोरियन फ्रिट्च की कंपनी कालरॉक कैपिटल पार्टनर्स लिमिटेड शामिल हैं। कंसोर्टियम ने ₹150 करोड़ की बैंक गारंटी जमा की है। कंसोर्टियम का कहना है कि वह जेट एयरवेज को उसे सौंप दिए जाने के बाद ही आगे निवेश करेगी। उसका कहना है कि जेट एयरवेज को सौंप दिए जाने की औपचारिकता में अपेक्षा से अधिक समय लग रहा है। उसने समाधान योजना के क्रियान्वयन के लिए एनसीएलटी से भी संपर्क किया है। इस बीच, फ्लोरियन फ्रिट्च अपने देश में एक मामले में जांच में घिरे हुए हैं लेकिन कंसोर्टियम का कहना है कि इससे जेट एयरलाइन के पुनरुद्धार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

समाधान योजना में कहा गया है, बोली लगाने वाले विजेता को प्रभावी तिथि से 180 दिनों के भीतर बैंकों को ₹185 करोड़ का अग्रिम भुगतान करना होगा और इसकी प्रभावी तिथि 20 मई है। उधारदाताओं का कहना है कि कंसोर्टियम ने राशि का भुगतान नहीं किया है, क्योंकि उसने केवल ₹150 करोड़ की बैंक गारंटी जमा की है।

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