स्थानीय भाषा में अनुवाद की नई तकनीक सीख रहे शिक्षक

रायपुर, 08 जनवरी 2023/राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजना बच्चों को उनकी मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से शिक्षकों स्थानीय भाषा में अनुवाद की नई तकनीक सिखाई जा रही है। शिक्षक के स्थानीय भाषा में अनुवाद को सीखने से बच्चों को मातृभाषा में में पठन सामग्री सरलता से उपलब्ध होगी। स्थानीय भाषा में पठन सामग्री उपलब्ध होने से बच्चों में बुनियादी साक्षरता के साथ ही पढ़ाई में रूचि भी बढ़ेगी। राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा द्वारा रूम-टू-रीड की सहयोग से हिन्दी की कहानी को राज्य की 14 स्थानीय भाषा में अनुवाद करने के लिए तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन रायपुर में किया जा रहा है।

कार्यशाला में छत्तीसगढ़ में विशेष रूप से जशपुर, सरगुजा, बस्तर के अधिकांश क्षेत्रों में मुख्य रूप से बोली जाने वाली स्थानीय भाषा हल्बी, गोंडी, बैगनी, भुजिया, सादरी, कुडुख, दोरली, धुरवा, भतरी, भुजिया और छत्तीसगढ़ी के जानकार शिक्षकों द्वारा स्थानीय भाषा में अनुवाद की नई तकनीक सिखाई जा रही है। समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉ. एम. सुधीश ने कार्यशाला में प्राथमिक स्तर पर बच्चों को उनकी मातृ भाषा में शिक्षा एवं उनके स्तर पर पठन सामग्री की उपलब्धता पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बच्चों के बाल साहित्य की आवश्यकता और उसके निर्माण पर जोर दिया। रूम-टू-रीड के कंट्री हेड श्री प्रतीक बैनजी ने बाल साहित्य को पठन कौशल विकास के लिए एक संजीवनी बताया। उन्होंने हर बच्चे को बाल साहित्य से जोड़ने पर बल दिया। दिल्ली के श्री नवनीत ने प्रतिभागी शिक्षकों को ऑन लाइन अनुवाद की नई तकनीक की जानकारी दी। कार्यशाला में चौदह भाषाओं के विशेषज्ञों के साथ ही रूम-टू-रीड के प्रतिनिधि श्री प्रदीप और सुश्री सीमा रणधीर उपस्थित थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *