छत्तीसगढ़….नवरात्रि में 9 दिन तक अन्न और जल ग्रहण किए बिना ही कांटों की सैया पर सोते हैं यह माता के भक्त

सारंगढ़-बिलाईगढ- सलौनी कला नामक गांव में एक ऐसा भक्त नव दिन तक बिना खाय पिए कांटों की सैया पर अपने शरीर में कलश और ज्वारा साधे हुए तपस्या में लीन है जिसको देखने के लिए दूर- दूर से लोग आ रहें है ।

ग्राम सलौनीकला के रहने वाले भक्त सूरज टांडेल की तपस्या सबको हैरान कर देने वाली है, यह तपस्वी बचपन से ही पूजा पाठ हुमन जाग्रत में ही देवी की उपासना करते हुए आया है। वैसे तो नवरात्रि पर्व लगते ही तरह-तरह की भक्ति देखने को मिलती है । लेकिन इस प्रकार से भक्ति सारंगढ़- बिलाईगढ़ जिले समेत क्षेत्र के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है सूरज की इस आस्था को देख हर कोई दंग है यह देवी भक्त माता रानी को खुश करने के लिए अपने घर के मंदिर में काटो के ऊपर सोकर अपने शरीर पर कलश स्थापना कर जवारा उगाकर साधना में लगे हैं जिसे देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं भक्त द्वारा अन्न जल भी त्याग कर दिया गया है और नवरात्रि तक बिना कुछ खाए पीए माता का नाम जपते हुए भक्ति में लीन है ।

इतना ही नहीं शनिवार और मंगलवार को यहां लोगों की भीड़ लगती है और देवी मां इनके पास पहुंचते हैं लोगों की समस्या दूर करते हैं अभी भी लोग अपनी समस्याओं को लेकर इस युवक के पास पहुंचते। सूरज पटेल के पिता जी बताते हैं कि बचपन से ही यह धार्मिक आस्था से काफी लगा रखा था शुरू से ही इनको माताजी पूजा पाठ करने के लिए कहते थे इसलिए आज माताजी स्वयं इनके पास आते हैं।

हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवी देवताओं की भक्ति के पीछे अपारशक्ति छिपी होती है जिसका नतीजा है कि भक्त भगवान की भक्ति में कठिन से कठिन तपस्या को भी बड़ी आसानी से पूरा कर लेते हैं कुछ ऐसे ही कठिन तपस्या सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के सलौनीकला में भी देखने को मिली जहां नवरात्रि के अवसर पर देवी मां को खुश करने के लिए एक भक्त ने अपने ही शरीर पर जवारे उगा दिए हैं इस कठिन तपस्या के पीछे भक्तों की इच्छा है की सभी का कल्याण माता रानी करे और भक्ति पर अपार कृपा बनी रहे और देश में सुख समृद्धि व अमन चैन कायम रहेगा ।

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