देहदान एवं अंग दान से बड़ा कोई दान नहीं – परम जीवन फाउंडेशन

रायपुर। परम जीवन फाउंडेशन द्वारा देहदान एवं अंगदान विषय पर परिचर्चा का आयोजन 2 अप्रैल रविवार को कमल विहार स्थित परम जीवनम् में किया गया। मक़सद था अधिक से अधिक लोगों को देह एवं अंग दान के महत्व से अवगत कराना ताकि लोग इस पुण्य कार्य के प्रति प्रोत्साहित हों! परिचर्चा में डॉ. मनीषा सिन्हा ने देहदान के चिकित्सा-शिक्षा में महत्व पर व्याख्यान देते हुए बताया कि एक देहदान से क़रीब 50 विद्यार्थी अध्ययन करते हैं और योग्य चिकित्सक तैयार करने में मदद मिलती है डॉ. विनय राठौर, नेफ़्रोलॉजिस्ट (एम्स) ने किडनी प्रत्यारोपण के बारे विस्तार से जानकारी देते हुआ बताया कि क़रीब दो लाख किडनी प्रत्यारोपण की प्रतिवर्ष आवश्यकता है लेकिन अफ़सोस, केवल पाँच हजार किडनी प्रत्यारोपण ही प्रतिवर्ष हो पाते हैं। और इसके पीछे मुख्य कारण है जान जागरूकता का अभाव। नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. अनिल गुप्ता ने नेत्र दान के बारे में उपयोगी जानकारी देते हुए बताया कि नेत्र दान मृतक शरीर द्वारा ही किया जा सकता है जबकि अन्य अंगों का दान जीवित रहते हुए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दृष्टि और दृष्टिकोण दोनों ही खुशहाल जीवन के लिए अति आवश्यकता हैं और नेत्रदान इस दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके साथ ही परम जीवनम् के संस्थापक डॉ. एचपी सिन्हा द्वारा अंग दान एवं देहदान से संबंधित भ्रांतियों का तर्कपूर्ण समाधान किया गया एवं इसके आध्यात्मिक पहलू पर भी प्रकाश डाला गया। डॉ सिन्हा ने आगे कहा कि अगर कोई व्यक्ति देहदान का संकल्प लेता है तो मानो आध्यत्मिक दृष्टि से वह कई वर्षों की कठिन तपस्या का फल पा लेता है क्योंकि यह संकल्प इस बात का सूचक है कि उस व्यक्ति ने शरीर को स्वयं से भिन्न अनुभव कर लिया है जो कि आध्यात्मिक-यात्रा में एक लंबी छलांग है। अधिकांश धर्म अंग-दान पर सहमत हैं। श्रीमती अजंता चौधरी, श्री महेंद्र तिवारी, श्री शैलेश अवधिया, योगाचार्य चूड़ामणि, श्रीमती अभिलाषा पंडा, श्रीमती इन्दु सुराना और श्री सुरेंद्र पाल ने कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न कराने में सक्रिय भूमिका निभायी !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *