रूस और यूक्रेन दोनों देश एक-दूसरे पर करारा प्रहार कर रहे हैं लेकिन हार कोई नहीं मान रहा है। 15 महीने से ज्यादा हो चुके हैं। युद्ध की वजह से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है। सैनिक थक चुके हैं। इस युद्ध की वजह से कई देशों ने रूस से अपने सभी तरह से संबंध तोड़ लिए हैं। पिछले साल जब 24 फरवरी को पुतिन की फौज ने यूक्रेन पर हमला किया था तो उन्होंने दावा किया था कि यूक्रेन 15 दिन भी मैदान में नहीं टिक सकेगा। लेकिन आज 15 महीने से भी ज्यादा का समय बीत चुका है और युक्रेन जंग के मैदान में मजबूती से लोहा ले रहा है।
वहीं इसी बीच खबर आ रही है कि रूसी संसद जल्द ही एक प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है, जिसके तहत देश की जेलों में बंद कैदी यूक्रेन के खिलाफ जंग में हिस्सा ले सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बिल को पुतिन की पार्टी पेश करेगी और 2 से 3 दिनों में इसे मंजूरी भी मिल सकती है। अगर यह बिल पास हो गया तो मोर्चे पर सैनिकों के साथ कैदी भी युद्ध लड़ते हुए दिखेंगे।
इस बिल में खास बात यह कही गई है कि जिन कैदियों को जंग में भेजा जाएगा उनकी सजा माफ़ कर दी जाएगी। हालांकि बिल में कहा गया है कि मोर्चे पर कुछ कैदियों को नहीं भेजा जाएगा। जिन कैदियों पर सेक्शुअल क्राइम्स, देशद्रोह या आतंकवाद के आरोप हैं। इसके साथ ही जिन कैदियों को इन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है, उन्हें मोर्चे पर जाने की मंजूरी नहीं मिलेगी। इसके अलावा अन्य हर तरह के कैदी युद्ध में भाग लेने के लिए भेजे जाएंगे। इनमें सजायाफ्ता कैदियों के अलावा वो कैदी भी शामिल होंगे, जिनके खिलाफ कोर्ट में ट्रायल पेंडिंग हैं।