जान की बाजी लगा बचाते दूसरों की जान आपदा के समय संकटमोचक बन जाते हैं NDRF के जवान

NDRF: चक्रवाती तूफान बिपरजॉय गुजरात में तबाही मचाने के बाद अब राजस्थान की ओर तरफ बढ़ गया है. लोगों को आपदा से बचाने के लिए यहां कम से कम एनडीआरएफ की 33 टीमें तैनाती की गई है
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स के जवान आपदा के समय संकटमोचक बनकर हमेशा तैयार रहते हैं और अपनी जान की बाजी लगातर दूसरों की जान बचाते हैं. चाहे वो कोई साइक्लोन हो या फिर ट्रेन हादसा या फिर कोई भूकंप ही क्यों न हो.

एनडीआरएफ यानी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान सबसे पहले लोगों की जान बचाने के लिए आगे आते हैं. एनडीआरएफ की स्थापना 2006 में हुई थी. तब से लेकर आज तक इसके जवान हर आपदा में अग्रिम मोर्चे पर तैयार रहते हैं. एनडीआरएफ यूनाइटेड नेशन मैंडेटेड इंटरनेशनल डिजास्टर रेस्क्यू ऑपरेशन के हिस्से के रूप में ग्लोबल रिकॉग्निशन प्राप्त करने के लिए तैयार है.

NDRF ग्लोबल रिकॉग्निशन पाने को तैयार
मेजर जनरल वी के दत्ता ने न्यूज9 से बातचीत में बताया कि भारत में 2006 से पहले कोई नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स नहीं था. 2006 के बाद से एनडीआरएफ न केवल भारत में आपदाओं के दौरान एक्टिव रहा है, बल्कि यह बल तुर्की में हाल ही में आए भूकंप जैसी अंतरराष्ट्रीय आपदाओं के दौरान भी लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए आया. बता दें कि मेजर दत्ता ने 2009 से 2021 तक एनडीएमए के साथ काम किया.

एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार मेजर जनरल दत्ता ने कहा कि एनडीआरएफ को अब अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी मिल सकता है. अंतरराष्ट्रीय खोज और बचाव सलाहकार समूह INSARAG द्वारा इसका रिकॉग्निशन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि INSARAG दुनिया भर में आपदा प्रतिक्रिया टीमों का मानकीकरण करता है. यह खोज और बचाव संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के तहत 90 से अधिक देशों और संगठनों का एक नेटवर्क है.

NDRF की स्थापना
वैसे तो नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स का गठन 2006 में किया गया. मगर इसकी जरूरत 90 के दशक से ही पड़ने लगी थी. 1999 में ओडिशा में सुपर चक्रवात आया था. साल 1998 में गुजरात में तूफान ने भयंक तबाही मचाई थी. इसके कुछ साल बाद 2001 में गुजरात में जोरदार भूकंप आया था. 2004 में भारत में सुनामी आई थी. इन तमाम आपदाओं से गुजरने के बाद भारत ने इस फोर्स के गठन के बारे में सोची. एक ऐसा फोर्स जो आपदा के समय लोगों की जिंदगी बचा सके, उसके खतरे से निपट सके.

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 20052005 में संसद में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट पारित किया गया. इसके बाद नेशनल, स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल के आपदाओं के लिए इसका एक कानूनन ब्लूप्रिंट तैयार किया गया. 2006 में एनडीआरएफ अस्तित्व में आया. शुरुआत में एनडीआरएफ की क्षमता 8 बटालियनों की थी. मगर इस समय इसकी क्षमता 16 बटालियनों की है. हर बटालियन में 1149 जवान होते हैं. एनडीआरएफ में देश के 16 अलग-अलग स्थानों पर तैनात बीएसएफ, सीआईएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और असम राइफल्स के लगभग 18,500 कर्मी हैं.

स्थापना के बाद 2008 में पहला सबसे बड़ा टास्कएनडीआरएफ की स्थापना के बाद उसके लिए सबसे बड़ा चैलेंज 2008 में कोसी नदी में आई बाढ़ थी. 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार के तुरंत बाद एनडीआरएफ की टीमों को बिहार ले जाया गया था. एनडीआरएफ ने 780 बाढ़ बचाव प्रशिक्षित कर्मियों के साथ 153 उच्च गति वाली मोटर चालित नौकाओं को एयरलिफ्ट किया. बाढ़ के दौरान 1,00,000 से अधिक प्रभावित लोगों को बचाया गया था. तब से एनडीआरएफ के जवान आपदा के समय अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों की जान बचाते हैं.

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