आई-फ्लू की गई गलती से जा सकती है आंखों की रोशनी

भारत के अलग-अलग राज्यों में आई-फ्लू तेजी से फैल रहा है। ज्यादातर लोग इस संक्रमण से परेशान हो रहे हैं। मानसून के दौरान हवा में नमी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से बैक्टीरिया और वायरस जल्दी पनपते हैं। बरसात के दिनों में आई-फ्लू होना कॉमन है, लगातार बढ़ रहे कंजंक्टिवाइटिस के मामलों की वजह से अब चिंता बढ़ गई है। आई फ्लू से बचाव के लिए लोग आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों ने आंखों के इलाज के लिए स्टेरॉयड के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दे दी है।

आई फ्लू से निपटने के लिए लोग आई ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, एयर पर छपी रिपोर्ट में एम्स के डॉ.जेएस टिटियाल ने कहा कि आंखों में स्टेरॉयड वाली आई ड्रॉप डालने के दो हफ्ते बाद कॉर्निया पर धब्बे होने और आंखों का दबाव बढ़ने का खतरा रहता है। यही वजह है कि एम्स ने अपने उपचार प्रोटोकॉल में स्टेरॉयड को शामिल नहीं किया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि स्टेरॉयड देने से मरीजों को जल्द राहत तो मिल जाती है लेकिन बाद में आंखें खराब होने और रोशनी कमजोर होने का खतरा होता है। डॉक्टर का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भी सही तरीके से किया जाना चाहिए। डॉ. राजेंद्र ने कहा कि अगर एक ही परिवार में आई फ्लू के एक से ज्यादा लोग प्रभावित हैं तो एक ही आई ड्रॉप न डालें। ऐसा करने पर क्रॉस-संक्रमण का खतरा होता है। इसे फैलने से रोकने के लिए डॉक्टर ने सलाह दी है कि सभी संक्रमित व्यक्ति को अलग-अलग आई ड्रॉप का इस्तेमाल करना चाहिए।

आई फ्लू तेजी से फैल रहा है, इससे बचने के लिए आप कुछ बातों को हमेशा ध्यान में रखें। जैसे बार-बार साबुन से हाथ धोना। इसी के साथ अपनी आंखों को छूने से भी बचें। जितना हो सके स्वीमिंग से बचें। बचाव के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर आई ड्रॉप डाल सकते हैं। हालांकि आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें। ध्यान रखें कि आप घर से बाहर जाते समय हमेशा चश्मा लगाएं, इससे बचाव होगा।

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