अब भारत के कई हिस्सों में भी संक्रमण फैला रहा है। केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गोवा के कुछ हिस्सों में इस नए संक्रमण ने
ओमीक्रॉन के इस नए सब-वेरिएंट JN.1 के साथ कोरोना एक बार फिर दस्तक जरूर दे चुका है लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे मौत के मामले और अस्पतालों में भर्ती लोगों की संख्या में उतनी बढ़ोत्तरी नहीं हुई जो डेल्टा वैरिएंट के समय पर थी। लेकिन, इस बीच कोरोना को लेकर सबसे नई रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है। पता लगा है कि इस खतरनाक वायरस से न केवल स्वाद और गंध बल्कि गले को भी बेहद नुकसान हो सकता है। एक केस में 15 साल की एक लड़की ने कोरोना वायरस के चलते अपनी आवाज गंवा दी।
जनरल पेडियाट्रिक में Bilateral vocal cord paralysis requiring long term tracheostomy after SARS-CoV-2 infection नाम की एक रिसर्च सामने आई है। जिसमें पता लगा है कि कोरोना संक्रमण गले को भी संक्रमित करता है, इतना ही गले की आवाज तक जा सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इसे वोकल कॉर्ड पैरालिसिस कहा जाता है। इसमें आपके वोकल हिस्से प्रभावित होते हैं। संक्रमण की स्थिति में आप धीरे-धीरे बोलने की क्षमता खो देते हैं। यह बेहद खतरनाक है।
जीएनसीटीडी मंत्री (स्वास्थ्य) सौरभ भारद्वाज ने नवंबर-2023 के दौरान चीन में बच्चों में निमोनिया सहित श्वसन रोगों के मामलों में वृद्धि को देखते हुए 30 नवंबर को श्वसन चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ एक बैठक बुलाई थी। जिसमें आरटी पीसीआर द्वारा निमोनिया के गंभीर मामलों के परीक्षण करने, नमूनों का विवरण बनाए रखने और एंटी-वायरल दवाओं का पर्याप्त स्टॉक बनाए रखने पर एसओपी जारी की गई। इसमें विभिन्न मापदंडों पर तैयारियों का आकलन करने के लिए 13 दिसंबर से 17 दिसंबर तक सभी अस्पतालों में मॉक ड्रिल आयोजित की गई थी।
कोरोना के खतरे को देखते हुए 20 दिसंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी सभी स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक बुलाई। बैठक में कोविड परीक्षण करने औऱ अस्पतालों की हर तीन महीने में मॉक ड्रिल पर बात की गई।