महिला पहलवान साक्षी मलिक का सन्यांस और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया फैसला लेंगे वापस .. आखिर क्या था पूरा मामला

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) की नई कार्यकारिणी को भंग करने के फैसले का महिला पहलवान साक्षी मलिक ने स्वागत किया है। रविवार को मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पहलवानों की भलाई को लेकर यह फैसला हुआ है। मालूम हो कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुने जाने पर साक्षी ने कड़ी नाराजगी जताई थी। उन्होंने आहत होकर कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया था। नए कुश्ती संघ के निलंबन पर आज साक्षी ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा था कि यह बहन-बेटियों का लड़ाई है और हम उसके लिए लड़ते रहेंगे। यह उस दिशा में पहला कदम है। मैं उम्मीद करती हूं कि सरकार हमारी मांगों को समझेगी, सरकार यह समझे कि बहन-बेटियां किस चीज को लेकर लड़ाई लड़ रही हैं।’

साक्षी मलिक से पूछा गया कि अब जब WFI की नई कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया है तो क्या वह कुश्ती से सन्यांस लेने का फैसला वापस लेंगी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘वापसी को लेकर फैसला आगे लिया जाएगा। जिस तरह की फेडरेशन बनेगी और जो निर्णय लिया जाएगा, उस आधार पर तय करूंगी और आपको जानकारी दूंगी।’ मालूम हो कि रियो ओलिंपिक 2016 में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक देश की पहली महिला पहलवान हैं। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि कुश्ती संघ की महिला अध्यक्ष हो और अच्छा फेडरेशन हो ताकि आगे आने वाली बच्चियां सुरक्षित हों।’

ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने इस फैसले का स्वागत किया है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश कुश्ती संस्था के पूर्व प्रमुख संजय सिंह बीते गुरुवार को डब्ल्यूएफआई के नए अध्यक्ष चुने गए थे। वह डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी माने जाते हैं।

इस साल की शुरुआत में बृजभूषण सिंह और WFI के पिछले शासन के खिलाफ महीनों तक विरोध प्रदर्शन चला था। बजरंग पूनिया इसके प्रमुख चेहरों में से एक थे। उन्होंने नए डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के रूप में संजय सिंह के चुने जाने पर निराशा जताई थी। इतना ही नहीं, बजरंग ने विरोध के तौर पर अपना पद्म श्री नई दिल्ली में कर्तव्य पथ के फुटपाथ पर रख दिया। अब सवाल है कि क्या नए कुश्ती संघ के निलंबन के बाद पूनिया अपना पद्म श्री वापस लेंगे? आज तक से बात करते हुए पहलवान ने कहा कि वह अपना पद्म श्री पुरस्कार वापस लेने के लिए तभी तैयार होंगे, जब सरकार बृजभूषण और उनके करीबी सहयोगियों को कुश्ती संस्था से दूर रखे।

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