बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति ने सोमवार को 14 विपक्षी सांसदों का निलंबन रद्द कर दिया। इससे उन्हें सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति मिल गई है। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। राज्यसभा के 11 और लोकसभा के तीन सांसदों को पिछले सत्र के दौरान निलंबित कर दिया गया था और उनके मामलों को संबंधित विशेषाधिकार समितियों को भेज दिया गया था।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 14 सांसदों का निलंबन रद्द करने के सरकार के अनुरोध पर सहमत हो गए हैं। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने सिफारिश की थी कि कांग्रेस के तीन सांसदों- अब्दुल खालिक, के जयकुमार और विजय वसंत का निलंबन रद्द कर दिया जाए क्योंकि उन्होंने शीतकालीन सत्र के दौरान अपने आचरण के लिए खेद व्यक्त किया था।
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने मंगलवार को 11 निलंबित विपक्षी सांसदों को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का दोषी ठहराया, लेकिन सभापति जगदीप धनखड़ ने उनका निलंबन रद्द कर उन्हें बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति दे दी। बजट सत्र के आरंभ होने से एक दिन पहले राज्यसभा के सभापति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह भी सिफारिश की कि सदस्य पहले जितनी अवधि तक निलंबन का सामना कर चुके हैं उसे ही अवमानना के लिए पर्याप्त सजा के रूप में माना जाना चाहिए।
जिन सांसदों को विशेषाधिकार के उल्लंघन और सदन की अवमानना का दोषी ठहराया गया, उनमें जेबी मैथर हिशाम, एल हनुमंतैया, नीरज डांगी, राजमणि पटेल, कुमार केतकर, जी सी चंद्रशेखर, विनय विश्वम, संदोश कुमार पी, एम मोहम्मद अब्दुल्ला, जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम शामिल हैं।
समिति ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए धनखड़ को रिपोर्ट सौंपी कि निलंबित सदस्य बुधवार को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के विशेष संबोधन में शामिल नहीं हो पाएंगे। सूत्रों ने कहा कि सभापति ने निलंबन को रद्द करने के लिए नियमों के तहत निहित अधिकार का इस्तेमाल किया, जिससे सदस्य राष्ट्रपति के अभिभाषण में भाग ले सकेंगे।
आपको बता दें कि सदन में तख्तियां लाने और बार-बार कार्यवाही में बाधा डालने के लिए दोनों सदनों में कुल 146 विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ था। इनमें से 100 लोकसभा सदस्य और 46 राज्यसभा सदस्य शामिल थे। इनमें 132 सांसदों का निलंबन शीतकालीन सत्र के लिए था, लेकिन 14 सांसदों के उल्लंघन को अधिक गंभीर माना गया था और मामले को दोनों सदनों की विशेषाधिकार समितियों के पास भेज दिया गया था।
संसदीय कार्य मंत्री जोशी बताया कि सर्वदलीय बैठक में भाग लेने वाले विभिन्न दलों के नेताओं से कहा गया है कि उन्हें नियमों का पालन करना चाहिए। सांसदों को सत्र के दौरान कक्ष के अंदर तख्तियां या इसी तरह की कोई सामग्री नहीं लानी चाहिए। अन्यथा नियम के उल्लंघन पर अध्यक्ष को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। बजट सत्र बुधवार से आरंभ होगा और नौ फरवरी को समाप्त होगा।