योगेश यादव/ बलौदाबाजार- ग्राम पंचायत कटगी में देवांगन समाज द्वारा मां परमेश्वरी पुराण का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसमे रोजाना हजारों की संख्या में ग्रामवासी और आसपास गांव के लोग कथा सुनने पहुंच रहे है। कथा का आयोजन गांव के ही देवांगन समाज द्वारा कराया जा रहा है। कथावाचक किशन राव के कथा के रसपान के लिए श्रद्धालु दूर- दूर से पहुंच रहे है। वही गायक छोटू देवांगन के भजनों में लोग झूमते हुए नजर आ रहे है।
व्यास गद्दी से किशन राव ने बताया कि सतयुग में दीपचंद हरणी से 28 पुत्र और 28 कन्या हुए जो हिंगलाज में ही रह कर अपने वंश की वृध्दि करने लगे। सतयुग में 28 गोत्र था, जो बनारस में रहा करते थे। द्वापर युग में आते- आते देवांगन समाज के 6 गोत्र का इजाफा हुआ। त्रेता युग में देवांगनों के 12 गोत्र बढ़ गए, वही कलयुग में पहुंचते-पहुंचते 18 गोत्र की अधिकता देखने को मिली। देवांगन समाज का सतयुग से कलयुग तक 64 गोत्र दिखाई देते हैं ।
महिषासुर का वध मां परमेश्वरी द्वारा
देवांगन समाज के जनक दीपचंद मां परमेश्वरी से कहते हैं कि – हे मां आप शुंभ, निशुंभ, चंड, मुंड, रक्तबीज नामक दानवों को मारकर संसार को उनके अत्याचार से मुक्ति दिलाने वाली है। हे मां महामाया, आप महिषासुर मर्दिनी है । मां मैं वही कथा आपसे श्रवण करने की इच्छा रखता हूं, कृपया कर सुनाएं। हे पुत्र सुनो, महिषासुर नामक एक दैत्य था उसकी दुष्टता से तीनों लोग के प्राणी दुखी थे, 33 कोटि देवताओं के साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी भयभीत थे। सभी ने मेरी स्तुति की, देवताओं के आर्त कंदन सुनकर मै प्रगट हुई। विष्णु ने अपना चक्र, शंकर ने त्रिशूल और ब्रह्मा ने अपना फास मुझे अर्पित किया। चार भुजा, हजार भुजा, अष्ट भुजा अनेकों सिर वाली चामुंडा आदि प्रकट हुई। मेरी जीभ लपलपा रही थी और हाथों में खप्पर सुशोभित थी। मां और महिषासुर के बीच युद्ध चलने लगा, मैं मां महाकाली का रूप धारण कर अपने लप-लपाती जीभ से महिषासुर का वध कर दी। इसीलिए मुझे महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है।