नए आपराधिक कानून के तहत 2 पुलिस अफसरों पर ही CBI की पहली FIR

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने हाल ही में प्रभाव में आई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत अपनी पहली प्राथमिकी दर्ज की। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि सीबीआई ने तिहाड़ जेल में बंद एक व्यक्ति की रिहाई में मदद के लिए कथित तौर पर 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के लिए दिल्ली पुलिस के दो अधिकारियों के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज की।

बीएनएस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ली है। अधिकारियों ने बताया कि मौरिस नगर स्थित स्वापक प्रकोष्ठ में तैनात हेड कॉन्स्टेबल रवीन्द्र ढाका और प्रवीण सैनी के खिलाफ बीएनएस 61 (2) के तहत बुधवार शाम को प्राथमिकी दर्ज की गई। दोनों अधिकारियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कथित आपराधिक साजिश और रिश्वतखोरी का आरोप है।

प्राथमिकी में आरोप लगाया कि अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से तिहाड़ जेल में बंद उसके भाई को रिहा कराने में मदद करने के लिए 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। आरोपी के पास से एनआरएक्स (ऐसी दवाएं, जिन्हें एक चिकित्सक के परामर्श के बिना नहीं खरीदा जा सकता) मिलने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। शिकायतकर्ता ने सीबीआई को बताया कि ये दवाएं गलत तरीके से उसके भाई कोशिन्दर के पास रखी दिखाई गई थीं।

सीबीआई ने आरोप लगाया कि ढाका और सैनी ने फर्जी बिल तैयार करने और उन्हें सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए शिकायतकर्ता को एनआरएक्स दवाओं का विवरण प्रदान करने के वास्ते कथित तौर पर रिश्वत मांगी, जिसे बाद में वे सही बिल के रूप में सत्यापित कर देते और इससे उसके भाई को न्यायिक हिरासत से जमानत पर रिहा होने में मदद मिलती। सत्यापन की प्रक्रिया के दौरान सीबीआई ने अधिकारी के दावों की पुष्टि के लिए शिकायतकर्ता को गुप्त रिकॉर्डर के साथ भेजा।

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