सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अगर प्रत्याशी चाहते हैं तो चुनाव के बाद भी उन्हें ईवीएम की वेरिफिकेशन का अधिकार है। लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव आयोग के पास ईवीएम वेरिफिकेशन के कुल आठ आवेदन आए हैं। जानकारी के मुताबिक चुनाव आयोग ईवीएम वेरिफिकेशन में मॉक पोल को भी शामिल करेगा जिसमें प्रत्याशी या उनका कोई प्रतिनिधि 1400 वोट डालेगा। इसके बाद देखा जाएगा कि ईवीएम सही काम कर रही है या नहीं।
बता दें कि 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद 8 प्रत्याशियों ने आवेदन किए हैं। नियम के मुताबिक केवल दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले प्रत्याशी ही ईवीएम चेक करवा सकते हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा चुनाव में शामिल तीन प्रत्याशियों ने भी ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए आवेदन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल में आदश दिया था कि जो भी प्रत्याशी दूसरे और तीसरे नंबर पर आते हैं उन्हें विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र की 5 फीसदी मशीनों की मेमोरी या माइक्रोकंट्रोलर को वेरिफाइ करने का अधिकार है। इसके बाद 1 जून को चुनाव आयोग ने एसओपी जारी की और कहा कि परिणाम के सात दिनों के अंदर ही वेरिफिकेशन के लिए आवेदन करना होगा। उसके बाद आवेदन करने पर एक ईवीएम के हिसाब से 40 हजार रुपये का भुगतान करना होगा।
अभी तक बर्न्ट मेमोरी वेरिफिकेशन की टेक्निकल एसओपी फाइनल नहीं हो पाई है। रिपोर्ट के मुताबिक इस सप्ताह इसे जारी किया जा सका है। वही्ं सूत्रों का कहना है कि चुनाव आयोग मॉक पोल की योजना बना रहा है। इससे ईवीएम की प्रामाणिकता की जांच हो जाएगी। ईवीएम पर वोट डालने के बाद वीवीपैट भी गिने जाएंगे। मॉक पोल के दौरान प्रत्याशी खुद या फिर कोई प्रतिनिधि वोट डाल सकता है। इसके बाद अगर प्रत्याशी चाहता है तो कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट और वीवीपैट को जैसे चाहे अरेंज करवाकर देख सकता है।
बता दें कि कंट्रोल यूनिट का बटन दबाए बिना कोई भी वोटर वोट नहीं डाल सकता है। वहीं बैलट यूनिट में प्रत्याशियों के नाम होते हैं। वीवीपैट एक स्लिप प्रिंट करता है जिसमें जिस पार्टी को वोट दिया गया होता है, उसका निशान होता है। फिलहाल सबसे पहले बीयू को वीवीपैट से जोड़ा जाता है और वीवीपैट का कनेक्शन सीयू से किया जाता है। बता दें कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि सिंबल लोडिंग यूनिट (SLU) को भी परिणाम के 45 दिन बाद तक सील रखा जाए।