दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में एक पंजाबी राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता विजय सिंह और मां तृप्ता वाही दोनों ही दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं। कहा जाता है कि उनके पिता ने “मार्क्स” और “लेनिन” से प्रेरित होकर उनका नाम ‘आतिशी मार्लेना’ रखा था। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने अपने नाम से ‘मार्लेना’ हटा दिया और अब वो सिर्फ आतिशी के नाम से जनि जाती है ,
आतिशी के पति का नाम प्रवीण सिंह है। 2020 के चुनाव में दिए गए एफिडेविट के अनुसार, आतिशी ने अपने पति को एक सोशल वर्कर बताया था। हालांकि, प्रवीण सिंह लाइमलाइट से दूर रहते हैं, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह एक रिसर्चर और शिक्षक भी हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली और आईआईएम अहमदाबाद से अपनी पढ़ाई पूरी की है।
दिल्ली में जन्मी आतिशी की प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली के पूसा रोड स्थित स्प्रिंगडेल्स स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, उन्होंने चिवनिंग स्कॉलरशिप के तहत ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और दूसरी मास्टर्स डिग्री हासिल की। आतिशी आम आदमी पार्टी की संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और 2013 में जब AAP ने अपना पहला मेनिफेस्टो जारी किया, तब उसे तैयार करने में आतिशी ने भी योगदान दिया था।
चुनाव आयोग में दिए गए हलफनामे के अनुसार, आतिशी की कुल संपत्ति 1.41 करोड़ रुपये है। उनके पति प्रवीण सिंह के पास 81.42 लाख रुपये की संपत्ति है। इसके अलावा, आतिशी के पास घर या गाड़ी कुछ भी नहीं है। 2018-19 में उनकी कुल आय 5.20 लाख रुपये थी। उनके पास 20 हजार रुपये नकद और बैंक खाते में 36 हजार रुपये थे। इसके साथ ही उनके नाम पर 39 लाख और 18 लाख रुपये की दो एफडी भी थीं।
2020 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, प्रवीण सिंह की 2018-2019 की आय 3.71 लाख रुपये थी। उनके पास 10 हजार रुपये नकद और 8.13 लाख रुपये बैंक खाते में थे। इसके अलावा, उनके नाम पर 54.5 लाख रुपये की एक एफडी थी।
आतिशी का राजनीतिक करियर भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान शुरू हुआ। 2015 से 2018 तक, उन्होंने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम किया। उन्हें ‘आप’ की तेज-तर्रार नेता के रूप में जाना जाता है और वह पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (PAC) की सदस्य भी रह चुकी हैं। 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने के बाद, उन्हें गौतम गंभीर से हार का सामना करना पड़ा था।