कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की खरीद में कथित 7,200 करोड़ रुपये की घोटाले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का फैसला किया है। इस समय राज्य में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी।कैबिनेट ने इस दौरान लिए गए प्रशासनिक निर्णयों की समीक्षा करने और कार्रवाई की सिफारिश करने के लिए एक उप-समिति के गठन की घोषणा की है।आपको बता दें कि हाईकोर्ट के रिटायर जज जॉन माइकल डी कुन्हा के नेतृत्व में एक जांच आयोग द्वारा 31 अगस्त को अंतरिम रिपोर्ट पेश करने के बाद ये फैसले लिए गए हैं। इसमें चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की खरीद में 7,223 करोड़ रुपये की अनियमितताओं को उजागर किया गया था। आयोग ने इसमें शामिल कंपनियों से 500 करोड़ रुपये वसूलने और उन्हें ब्लैक लिस्ट में डालने की सिफारिश की है।राज्य के कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा, “सरकार पैसे वसूलने के लिए कदम उठाएगी। जबकि एसआईटी घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जैसे उपाय करेगी, सरकार आगे की कार्रवाई तय करने से पहले आयोग की अंतिम रिपोर्ट और एसआईटी की जांच का इंतजार करेगी।”पाटिल ने कहा, ”आयोग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के चार जोन और राज्य के 31 जिलों से रिपोर्ट मांगी है और उसे अभी तक रिपोर्ट नहीं मिली है। संबंधित विभागों से 55,000 फाइलों का सत्यापन करने के बाद ‘आंशिक’ रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।”कैबिनेट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के नेतृत्व में सात सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति का गठन किया।गृह मंत्री जी परमेश्वर, विधि मंत्री एच के पाटिल, स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव, ग्रामीण विकास मंत्री प्रियांक खरगे, श्रम मंत्री संतोष लाड और चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल समिति के सदस्य हैं।