नागपुर में भी विस्फोटक बनाने वाली कंपनियों की चांदी हो गई है। इन कंपनियों को 3 हजार करोड़ का ऑर्डर मिला है और अब तक 1 हजार करोड़ का माल सप्लाई भी हो चुका है। खास बात यह है कि यहां खरीदार रूस और यक्रेन नहीं बल्कि बुल्गारिया, स्पेन, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, ब्रीजील, पोलैंड और सऊदी अरब जैसे देशों के लोग हैं। हालांकि यह भी हो सकता है कि खऱीदने के बाद इस गोला बारूद और हथियारों की सप्लाई कहीं और की जाती हो।इस मार्केट में सबसे ज्यादा मांग 155एमएम, होवित्जर गन, 40 एमएम शोल्डल फायर्ड रॉकेट की है।
टाइम्स ऑफ इंडिया ीक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन महीने में नागपुर से 900 करोड़ से ज्यादा के कारतूस, रॉकेट और बम सप्लाई हो चुके हैं। इसके अलावा 3 हजार करोड़ से ज्यादा का ऑर्डर मिला है। इसमें कच्ची बारूद का ऑर्डर भी शामिल है।वहीं नागपुर की कंपनियों का दावा है कि यहां से एक कारतूस भी युद्धग्रस्त देशों को सप्लाई नहीं हुआ है। दूसरे देशों के खरीदार एंड यूज सर्टिफिकेट जारी करते हैं जिसके आधार पर ही भारत में निर्माताओं को सरकार से गोला-बारूद और हथियार बेचने का लाइसेंस मिलता है। वहीं कुछ देशों में इन सामानों का निर्यात प्रतिबंधित भी है। नागपुर के निर्माताओं ने कहा कि युद्धग्रस्त देशों से मुनाफा कमाने की नीति भारत के उद्योग की नहीं है।नागपुर से निर्यात होने वाले नए हथियारों में बम और ग्रेनेड शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून तक नागपुर से 770 करोड़ के बम सप्लाई किए जा चुके हैं।