नई दिल्ली – स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से कड़ी नसीहत मिली है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने सावरकर पर की गई टिप्पणी को “गैरजिम्मेदाराना” करार देते हुए कहा कि ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों का उपहास नहीं उड़ाया जाना चाहिए, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से सवाल किया कि क्या उन्हें यह जानकारी है कि महात्मा गांधी ने भी अंग्रेजों को लिखे पत्रों में खुद को “आपका वफादार सेवक” कहा था? बेंच ने दो टूक कहा कि भविष्य में ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए, वरना अदालत स्वत: संज्ञान ले सकती है।
हालांकि, कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत भी दी है। वीर सावरकर पर विवादित टिप्पणी को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जारी समन रद्द करने से इनकार करने के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। साथ ही, यूपी सरकार को इस मामले में नोटिस जारी किया गया है।
यह विवाद वर्ष 2022 में तब शुरू हुआ था, जब राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के अकोला में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक रैली में सावरकर की एक चिट्ठी का हवाला देते हुए उन पर अंग्रेजों से डरकर माफी मांगने का आरोप लगाया था। राहुल गांधी ने कहा था, “सावरकर ने अंग्रेजों का नौकर बनने की बात कही थी और डरकर माफी मांगी थी, जबकि गांधी-नेहरू ने ऐसा नहीं किया और जेल भुगती।”
इस बयान को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ अधिवक्ता द्वारा मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न केवल इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास से जुड़ी टिप्पणियों में सावधानी बरतनी चाहिए।