बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में एक दुखद घटना के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे की व्यवस्थाओं पर कड़ी नाराजगी जताई है। ट्रेन यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने के बाद समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण एक कैंसर पीड़ित महिला की मौत हो गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने मृतका के परिजनों को 3 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
मुआवजे के तौर पर 2 लाख रुपये राज्य सरकार और 1 लाख रुपये रेलवे को देने होंगे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने की।
रेलवे और शासन की लापरवाही पर नाराजगी
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य शासन और रेलवे की अव्यवस्थाओं पर तीखी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि जब ट्रेन में बीमार महिला के लिए बिलासपुर रेलवे स्टेशन पर एम्बुलेंस बुलाई गई थी, तो वह समय पर नहीं पहुंची। इलाज के अभाव में महिला की जान चली गई। परिजन को शव निजी वाहन में लेकर जाना पड़ा।
रेलवे की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि स्टाफ को भेजा गया था, लेकिन प्लेटफार्म पर कोई मरीज नहीं मिला। वहीं, राज्य शासन ने एम्बुलेंस सेवा और स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी प्रस्तुत की। लेकिन अदालत ने इसे अपर्याप्त बताते हुए दोनों पक्षों को परिजनों को क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया।
भविष्य के लिए सख्त निर्देश
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और रेलवे को निर्देश दिया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया जाए और मरीजों को तत्काल एम्बुलेंस और इलाज की सुविधा मुहैया कराई जाए। इसी के साथ कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।