छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर फिर बड़ी कार्रवाई: पूर्व मंत्री कवासी लखमा और करीबियों पर एसीबी-ईओडब्ल्यू की छापेमारी 15 ठिकानों पर एक साथ दबिश, सुकमा में चार स्थानों पर रेड…

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले को लेकर फिर बड़ी कार्रवाई: पूर्व मंत्री कवासी लखमा और करीबियों पर एसीबी-ईओडब्ल्यू की छापेमारी
15 ठिकानों पर एक साथ दबिश, सुकमा में चार स्थानों पर रेड, ईडी पहले ही दाखिल कर चुका है 3841 पन्नों का चालान

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच एक बार फिर जोर पकड़ती नजर आ रही है। शनिवार को एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त टीम ने राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई रायपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, तोंगपाल और जगदलपुर सहित करीब 15 स्थानों पर की गई।

सुकमा जिले में चार ठिकानों पर दबिश
सूत्रों के मुताबिक, सुकमा जिला मुख्यालय में चार अलग-अलग स्थानों पर टीमों ने रेड की है। टीमों ने संबंधित दस्तावेज, डिजिटल डिवाइसेज़ और लेन-देन से जुड़े अन्य साक्ष्यों को जब्त किया है।

ईडी ने दाखिल किया था 3841 पन्नों का चालान
इस घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही 13 मार्च को रायपुर की विशेष अदालत में 3,841 पृष्ठों का चालान पेश कर चुका है। इसमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा सहित 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसमें रायपुर के पूर्व मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लन, और कई कंपनियां जैसे छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवेरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पावर और भाटिया वाइन मर्चेंट शामिल हैं।

कवासी लखमा पहले से जेल में बंद
शराब घोटाले की जांच के तहत 15 जनवरी को कवासी लखमा को ईडी ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले दो बार उनसे पूछताछ की गई थी। गिरफ्तारी के बाद उन्हें पहले सात दिन की ईडी कस्टडी, फिर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। पिछली पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई थी, जिसमें कोर्ट ने उनकी रिमांड 18 फरवरी तक बढ़ा दी थी। ईडी ने उनके बेटे हरीश लखमा से भी पूछताछ की थी।

क्या है शराब घोटाला मामला?
यह मामला करीब 2,000 करोड़ रुपये के अवैध शराब व्यापार और टैक्स चोरी से जुड़ा है, जिसमें सरकारी अधिकारियों, नेताओं और व्यापारियों की मिलीभगत के आरोप हैं। ईडी के अनुसार, शराब की खरीद और बिक्री में फर्जी बिलिंग, आबकारी नीति के उल्लंघन और घूसखोरी के जरिये राज्य को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है।

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