रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग (EWS) को आरक्षण लागू न किए जाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की एकल पीठ ने यह सवाल उठाया है कि जब केंद्र सरकार और देश के अधिकांश राज्यों ने संविधान संशोधन के अनुरूप 10 प्रतिशत EWS आरक्षण लागू कर दिया है, तो छत्तीसगढ़ में यह व्यवस्था अब तक क्यों लंबित है।
यह मामला याचिकाकर्ता पुष्पराज सिंह और अन्य द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने 12 जनवरी 2019 को संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन कर EWS आरक्षण को मान्यता दी थी, जिसे 19 जनवरी 2019 से पूरे देश में लागू कर दिया गया। इसके अनुपालन में छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 4 सितंबर 2019 को एक अध्यादेश जारी किया, लेकिन इसके बावजूद राज्य में आज तक यह आरक्षण व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो पाया है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में EWS आरक्षण पहले से ही लागू है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में इस व्यवस्था को प्रभावी करने के लिए 29 अप्रैल 2024 को राज्य सरकार को अभ्यावेदन सौंपा था, परंतु कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
कोर्ट ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर प्रतिउत्तर (रिजाइंडर) दाखिल करने की अनुमति दी गई है। न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की कि संविधान संशोधन और अध्यादेश जारी होने के बावजूद आरक्षण व्यवस्था का अब तक क्रियान्वयन न होना गंभीर विषय है और राज्य सरकार को इस पर स्पष्ट और संतोषजनक जवाब देना होगा।