पद्म श्री से सम्मानित हुए छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार पंडी राम मंडावी, बस्तर की विरासत को दिलाई नई पहचान

नई दिल्ली — गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म पुरस्कारों की घोषणा की, जिसमें छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले से आने वाले लोक कलाकार पंडी राम मंडावी का नाम भी शामिल है। उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। मंडावी गोंड मुरिया जनजाति के प्रतिष्ठित मारूफ फनकार हैं, जिन्होंने पांच दशकों से अधिक समय से बस्तर की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और विश्व पटल पर पहचान दिलाने का कार्य किया है।

68 वर्षीय मंडावी की खास पहचान उनकी बांस से बनी बांसुरी, जिसे स्थानीय भाषा में ‘सुलुर’ कहा जाता है, से है। इसके अलावा, वे लकड़ी के पैनलों पर उभरी तस्वीरों, मूर्तियों और अन्य कलात्मक शिल्पों के माध्यम से भी अपनी अनोखी छाप छोड़ चुके हैं। उनकी कला का लोहा न केवल देश बल्कि विदेशों में भी माना जाता है।

विरासत में मिली कला, मेहनत से मिली पहचान

पंडी राम मंडावी ने यह कला अपने पूर्वजों से महज 12 साल की उम्र में सीखनी शुरू की थी। उन्होंने पारंपरिक तकनीकों और अपने नवाचार से बस्तर के काष्ठ शिल्प को वैश्विक पहचान दिलाई। वे बस्तर की परंपराओं, लोक-संस्कृति और हस्तशिल्प के संरक्षण में एक जीवित उदाहरण हैं।

139 हस्तियों को मिला पद्म सम्मान

सरकार ने इस वर्ष कुल 139 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है, जिनमें 7 पद्म विभूषण, 19 पद्म भूषण और 113 पद्म श्री शामिल हैं। इन पुरस्कारों के माध्यम से भारत की विविधता, कला, संस्कृति और समाज सेवा में योगदान देने वाले असाधारण व्यक्तियों को सम्मानित किया गया है।

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