राज्यसभा सांसदों को मिलेगी तकनीक की नई ताकत: स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, टैबलेट समेत कई आधुनिक डिवाइस की मंजूरी
नई दिल्ली।
देश की संसद अब तकनीक के नए युग में कदम रख रही है। राज्यसभा सांसदों को उनके संसदीय कार्यों को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और डिजिटल बनाने के उद्देश्य से स्मार्ट टीवी, टैबलेट, स्मार्ट वियरेबल्स, प्रोजेक्टर और अन्य अत्याधुनिक डिवाइस उपलब्ध कराए जाएंगे। यह फैसला हाल ही में हुई एक अहम बैठक में लिया गया है, जिसका उद्देश्य सांसदों की डिजिटल दक्षता को और मजबूत करना है।
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तकनीकी सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय “राज्यसभा सदस्यों के लिए कंप्यूटर उपकरण की वित्तीय पात्रता योजना” के तहत लिया गया है। इस योजना का मकसद सांसदों को डिजिटल माध्यमों का बेहतर उपयोग करने में सक्षम बनाना है, जिससे वे न केवल अपने संसदीय कार्यों को अधिक कुशलता से अंजाम दे सकें, बल्कि जनता से संवाद के लिए भी तकनीक का उपयोग कर सकें।
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कितनी मिलेगी राशि? जानिए पात्रता के आधार पर वित्तीय सहायता
योजना के तहत सांसदों को उनकी सदस्यता की अवधि के आधार पर वित्तीय सहायता दी जाएगी:
यदि कोई सांसद सामान्य चुनाव से राज्यसभा में आए हैं और उनका कार्यकाल तीन साल से अधिक है, तो उन्हें ₹2 लाख तक की सहायता मिलेगी।
उपचुनाव से चुने गए सांसद, जिनका कार्यकाल तीन साल या उससे कम है, उन्हें ₹1.5 लाख की सहायता दी जाएगी।
अगर किसी सांसद का कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक हो चुका है और कम से कम छह महीने का कार्यकाल शेष है, तो वे अतिरिक्त ₹1 लाख के पात्र होंगे।
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अब ये डिवाइसेज भी खरीद सकेंगे सांसद
नई सूची में शामिल आधुनिक उपकरणों में शामिल हैं:
स्मार्ट टीवी, स्मार्ट डिस्प्ले, स्मार्ट प्रोजेक्टर
पोर्टेबल स्क्रीन, टैबलेट और कीबोर्ड, स्मार्ट स्पीकर
स्मार्टवॉच, एयरपॉड्स, अन्य वियरेबल डिवाइसेज
एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर, हेडफोन, माइक, वेबकैम इत्यादि
इन उपकरणों की मदद से सांसद न केवल दस्तावेज़ों और प्रस्तुतियों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकेंगे, बल्कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, सोशल मीडिया कम्युनिकेशन, और डिजिटल संवाद भी अधिक प्रभावशाली ढंग से कर पाएंगे।
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पहले क्या-क्या मिलते थे डिवाइस?
अब तक सांसदों को योजना के तहत डेस्कटॉप, लैपटॉप, स्मार्टफोन, पेन ड्राइव, प्रिंटर, स्कैनर और यूपीएस जैसी सुविधाएं मिलती रही हैं। नई सूची में जो आधुनिक गैजेट्स जोड़े गए हैं, वे संसद की कार्यशैली को और भी तकनीकी रूप से सक्षम और समयानुकूल बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है।
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ऑरिजिनल बिल अनिवार्य
इस योजना के तहत सांसदों को डिवाइस खरीदने के बाद ओरिजिनल बिल प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। तभी उन्हें संबंधित राशि का रिफंड मिल सकेगा। इस व्यवस्था से पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित किया जाएगा।