रायपुर।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी और डीएमएफ घोटाले में लंबे समय से जेल में बंद प्रमुख आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री कार्यालय की उप सचिव सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू, और आईएएस समीर विश्नोई को अंतरिम जमानत प्रदान की गई है। सर्वोच्च अदालत ने इनकी जमानत को कड़ी शर्तों के साथ मंजूरी दी है।
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जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त शर्तें
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की डबल बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि आरोपियों को छत्तीसगढ़ में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत के बाद वे राज्य से बाहर रहेंगे, ताकि गवाहों पर किसी भी प्रकार का दबाव या प्रभाव न डाला जा सके।
इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी आरोपी:
जांच में पूरा सहयोग करें
साक्ष्यों के साथ कोई छेड़छाड़ न करें
प्रत्येक पेशी पर उपस्थित रहें
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आज नहीं, कल होगी रिहाई
हालांकि, सभी की रिहाई आज (30 मई) को ही संभावित थी, लेकिन रिहाई आदेश रायपुर जेल में देर से पहुंचने के कारण अब 31 मई को जेल से रिहा किया जाएगा। रिहा होने वाले 6 आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:
1. सौम्या चौरसिया
2. रानू साहू
3. समीर विश्नोई
4. पुजारी तिवारी
5. वीरेंद्र जायसवाल
6. संदीप नायक
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क्या है कोल लेवी घोटाला?
इस घोटाले का खुलासा 2022 में हुआ था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2 दिसंबर 2022 को सौम्या चौरसिया को मनी लॉन्ड्रिंग और कोयला परिवहन में अवैध वसूली के मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद सूर्यकांत तिवारी, रानू साहू और अन्य कई अधिकारी भी जांच के दायरे में आए।
ईडी के अनुसार, इस घोटाले में सैकड़ों करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई थी। यह राशि कथित रूप से अधिकारियों और राजनीतिक नेटवर्क के माध्यम से लॉन्डरिंग की गई थी।
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करीब 30 महीने बाद मिली राहत
तीनों प्रमुख आरोपी करीब 30 महीनों से जेल में बंद थे। यह पहली बार है जब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह राहत स्थायी जमानत नहीं है और मामले की सुनवाई जारी रहेगी।