मध्य प्रदेश – राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक विरासत को एक मंच पर लाकर मोहन सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। 3 जून 2025 को मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश की कैबिनेट बैठक पचमढ़ी के 138 साल पुराने गवर्नर हाउस (राजभवन) में आयोजित की जाएगी। यह पहला अवसर है जब आजादी के बाद इस ऐतिहासिक भवन में किसी सरकार की कैबिनेट बैठक हो रही है।
इतिहास की छांव में नीतियों की रोशनी
गवर्नर हाउस का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ष 1887 में पूरा हुआ था। इसकी नींव 1882 में रखी गई थी, जब यह क्षेत्र सेंट्रल प्रोविंस एवं बरार स्टेट के अधीन था। लगभग ₹1.55 लाख की लागत से बने इस भवन को समय के साथ 22.84 एकड़ क्षेत्र में विस्तार दिया गया। 1889 में बावर्चीखाना और बरामदे जोड़े गए, जबकि 1933-34 और 1957-58 में इस इमारत का रिनोवेशन हुआ। वर्तमान में भी इसका रखरखाव और सौंदर्यीकरण जारी है।
कैबिनेट बैठक का संदेश
सरकार का यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा प्रतीकात्मक संदेश भी छुपा है। ऐतिहासिक राजभवन में कैबिनेट बैठक कर सरकार विकास और विरासत के बीच संतुलन साधने का प्रयास कर रही है। यह पर्यटन को बढ़ावा देने, पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्रीय विकास की प्रतिबद्धता का भी संकेत है।
इससे पहले वर्ष 2022 में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पचमढ़ी में पाइन के पेड़ों के नीचे खुले मैदान में कैबिनेट बैठक की थी। इस बार भी वही स्थान प्रस्तावित था, लेकिन मौसम की आशंका और अन्य व्यवस्थागत कारणों से ऐन मौके पर राजभवन को स्थल के रूप में चुना गया।
पचमढ़ी की पहचान को मिलेगी नई ऊर्जा
पचमढ़ी, जो कभी मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी है, अब एक बार फिर राजनीतिक और प्रशासनिक केंद्रबिंदु बन रहा है। कैबिनेट बैठक के दौरान पर्यटन, अधोसंरचना और स्थानीय विकास से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने की संभावना है।