*युक्तियुक्तकरण का असर: कोंडागांव जिले में अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं* *10 पूर्णतः शिक्षकविहीन विद्यालयों को भी मिले शिक्षक*

*युक्तियुक्तकरण का असर: कोंडागांव जिले में अब एक भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं*

*10 पूर्णतः शिक्षकविहीन विद्यालयों को भी मिले शिक्षक*

*244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं सहित हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में भी हुई शिक्षक नियुक्ति, शिक्षा की गुणवत्ता में आएगा सुधार*

रायपुर, 12 जून 2025/ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए लागू की गई “युक्तियुक्तकरण” नीति के सकारात्मक नतीजे अब धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखने लगे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर संचालित इस प्रक्रिया के तहत कोंडागांव जिले के सभी शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों को आवश्यकतानुसार शिक्षक मिल चुके हैं। इससे जिले में शिक्षा का नया उजाला फैला है और विद्यार्थियों का भविष्य अब अधिक सुरक्षित हुआ है।

इस पहल के तहत जिले के 10 पूरी तरह शिक्षकविहीन प्राथमिक विद्यालयों को शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही 244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाएं, दो पूर्व माध्यमिक विद्यालय, दो हाई स्कूल और एक हायर सेकेंडरी स्कूल में भी शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है। अब जिले में एक भी विद्यालय ऐसा नहीं बचा है जहां शिक्षक न हो।

*इन विद्यालयों को मिला सबसे अधिक लाभ*

माकड़ी विकासखण्ड के प्राथमिक शाला करमरी, डोंगरीपारा क्षमतापुर और नेवरा, बड़ेराजपुर विकासखण्ड के रावसवाही, कोण्डागांव विकासखण्ड के कोरमेल, बाखरा, ज्ञान ज्योति नयापारा छोटेबंजोड़ा, एहरा और खुटडोबरा जैसे प्राथमिक विद्यालय वर्षों से शिक्षकविहीन थे। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति से अब बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से शुरू हो सकेगी।

*एकल शिक्षकीय विद्यालयों में भी सुधार*

फरसगांव विकासखण्ड के उच्च प्राथमिक शाला भैंसाबोड़, माध्यमिक शाला बाजारपारा फरसगांव, कोण्डागांव विकासखण्ड के हाई स्कूल डोंगरीगुड़ा और हाई स्कूल नवागांव, माकड़ी विकासखण्ड के हाई स्कूल एरला जैसे अनेक स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। कुल मिलाकर 244 एकल शिक्षकीय प्राथमिक शालाओं में भी अब संतुलित शिक्षक संख्या उपलब्ध हो चुकी है।

*शिक्षा व्यवस्था को मिली नई दिशा*

युक्तियुक्तकरण के इस व्यापक और सुनियोजित प्रयास से जिले की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिली है। शिक्षकों की उपलब्धता से जहां बच्चों की पढ़ाई में निरंतरता आएगी, वहीं शैक्षणिक गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।

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