क्रिकेट के खेल में प्रयोग होने वाली बॉल पर लार या थूक लगाने की परंपरा चली 100 साल से ज्यादा समय से चली आ रही थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे बैन कर दिया गया। यहां तक कि जब कोरोना वायरस का कहर कम हो गया तो भी इसकी शुरुआत नहीं की गई। इतना ही नहीं, अब इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब यानी एमसीसी ने गेंद पर सलाइवा यानी लार या थूक लगाने का पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
2019 में जब बॉल पर लार या थूक लगाने पर बैन लगाया गया था तो कुछ गेंदबाजों ने इसका समर्थन नहीं किया था। हालांकि, सभी को ये इजाजत थी कि गेंद पर पसीना लगाया जा सकता है। बॉल पर पसीना लगाने से भी फायदा हुआ और अब इसी वजह से गेंद पर सलाइवा लगाना पूरी तरह से एक अक्टूबर 2022 से बैन हो जाएगा। हालांकि, मार्क पोर्टस, जो एक क्रिकेट बायोमेकेनिस्ट जो तेज गेंदबाज सिखाते हैं, उनका दावा है कि गेंद पर पसीना लगाना काफी प्रभावी है।
गेंद की चमक को बढ़ाने के लिए इस पर थूक या लार लगाई जाती थी, लेकिन अब सिर्फ और सिर्फ पसीने का इस्तेमाल होगा। डेक्कन क्रोनिकल से बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया का मार्क पोर्टस ने कहा, “पसीना पॉलिश की हुई गेंद की तरह ही प्रभावी होता है। यह खिलाड़ियों द्वारा उपयोग की जाने वाली अन्य मीठी चीजें खाने से भी बचा जाता है। मुझे लगता है कि नया सलाइवा पर बैन लगना अच्छा है, क्योंकि इससे अधिक स्वच्छता प्रदान होती है। सनस्क्रीन थोड़ी मदद प्रदान करेगा, गेंद को चमकाने में मदद करने के लिए एक और सिंथेटिक यौगिक है। हालांकि, इसके लिए गेंदबाजों को पसीने से तरबतर होना पड़ेगा।”