वर्तमान समय में विज्ञान और तकनीकी की खोज साथ ही मानव जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार विज्ञान संकाय एवं वैज्ञानिक अविष्कार कर रहें हैं।

वर्तमान समय में विज्ञान और तकनीकी के प्रयोग द्वारा जहाँ ऊर्जा के नए स्रोत पर्यावरण के बचाव के लिए नई तकनीकी की खोज साथ ही मानव जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार विज्ञान संकाय एवं वैज्ञानिक अविष्कार कर रहें हैं। ऐसे में साइंस सेन्टर द्वारा भी इस वर्ष पहली बार रोबोटिक्स, ड्रोन और एयरो मॉडलिंग पर हण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप के पीछे संस्था का मुख्य उददेश्य नवीन खोजों एवं प्रायोगिक क्रियाकलापों को स्वयं करके सीखने की प्रक्रिया को विकसित करना है।

डॉ. शिरीष कुमार सिंह, प्रभारी परियोजना संचालक ने कहा कि वर्तमान में हम प्रौद्योगिक एवं नवाचार के युग में जी रहे है। सभी तरफ ऑटोमेशन टेक्नॉलॉजी का प्रसार है। शिक्षण में ऑगमेंटेड रियालिटी और वर्चुअल रियालिटी का इंटरफ्रेंस बढ़ गया है। ऐसे में संस्था द्वारा आयोजित इस प्रकार के हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप से बच्चे रोबोटिक्स, ड्रोन एवं एयरो-मॉडलिंग से जुड़े विज्ञान के कठिन सिद्धांतों को आसानी से समझ पा रहे है। मैंने देखा कि एयरो-मॉडलिंग की पाँच दिवसीय वर्कशॉप में टीम में टीम स्प्रिंट के साथ मिलकर कार्य किया, कुछ नया बनाना सीखा, साथ ही अपने रचनात्मकता और सृजनात्मकता का भरपूर उपयोग किया। विद्यार्थियों द्वारा बनाया गया एयरो प्लेन जब उड़ा तो उनकी खुशी देखते बनती थी मैं बता नहीं सकता कि मुझे इस समय इतनी खुशी हुई कि मैंने भगवान को ध्यन्यवाद दिया कि मुझ इस प्रकार की संस्था में कार्य करने के अवसर देने के साथ इस योग्य बनाया कि मैं राज्य के युवा वैज्ञानिकों के लिए कुछ कर सकूं।

इंजीनियर अमित कुमार मेश्राम, वैज्ञानिक ‘डी’ इस पाँच दिवसीय एयरो मॉडलिंग वर्कशॉप में विद्यार्थियों ने कुछ नया करना सीखा, साथ ही उपलब्ध विज्ञान के सिद्धांतों के अनुप्रयोग से भली-भांति परिचित होते हुए, वर्तमान में एविएशन के क्षेत्र में कैरियर के अवसरों को पहचाना। वर्तमान में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक एवं टेलीकम्युनिकेशन एवं रोबोटिक्स इंजीनियरिंग में लगातार नई टेक्नॉलॉजी आ रही है। ऐसे में इतने कम उम्र के बच्चों द्वारा हाथों से मॉडल बनाकर उन्हें उड़ाने का अवसर मिलना उनके लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है। मैं स्वयं भी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच से हूँ हमारे समय की शिक्षा व्यवस्था में इस तरह के मॉडल बनाने का अवसर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के समय ही मिल पाता था। ऐसे में मेरे साथी डॉ. शिरीष कुमार सिंह के द्वारा इस तरह के वर्कशॉप का आयोजन निश्चय ही विद्यार्थियों को नवीनतम वैज्ञानिक और तकनीकी अविष्कारों की ओर आकर्षित करेगा।

श्रीमती प्रज्ञा कदम, वैज्ञानिक अधिकारी इस पाँच दिवसीय एयरो-मॉडलिंग वर्कशॉप के समापन के अवसर पर लगातार पाँच दिनों से मॉडल बनाने में लगे विद्यार्थियों के मॉडल को उड़ते हुए देख कहा कि हमारे परियोजना संचालक महोदय के अथक प्रयासों से बच्चों को इस नवीन प्रौद्योगिकी पर आधारित हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग कम वर्कशॉप में शामिल होने का अवसर मिला अपने ही बनाए हुए मॉडल को उड़ता हुआ देखना बच्चों के लिए सपने से कम नहीं है। इन पाँच दिनों में विषय विशेषज्ञ डॉ. अरुणा राना द्वारा एविएशन के इतिहास बताने के समय इस क्षेत्र में राइट्स ब्रदर्स का योगदान बताने के साथ विमान के उड़ने में उपयोगी वैज्ञानिक सिद्धांत न्यूटन के गति के सिद्धांत और बरनौली सिद्धांत को समझाने के लिए हमारे विशेषज्ञ ने बच्चों की उम्र के अनुसार समझाया साथ ही विभिन्न प्रकार के एयरोप्लेन, ड्रोन प्रौद्योगिकी को प्रायोगिक रूप से समझाते हुए इस क्षेत्र में उनके लिए उपलब्ध कैरियर के आयामों की जानकारी दी।

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संस्था के महानिदेशक डॉ. एस. कर्मकार द्वारा सस्था के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को इस पाँच दिवसीय वर्कशॉप के सफलतापूर्वक संपन्न होने की शुभकामनाएँ दी, साथ ही अपनी वैज्ञानिक टीम को भविष्य में भी इस तरह के वर्कशॉप के आयोजन हेतु प्रोत्साहित किया।

यह पाँच दिवसीय एयरो मॉडलिंग कार्यशाला में छत्तीसगढ़ रीजनल साइंस सेन्टर के पाँच दिनों से लगातार वर्कशॉप के आयोजन के कार्यों में लगे शोधार्थी श्री वरूण कुमार मिश्रा, सुश्री श्रेया मिश्रा, सुश्री तारणी वर्मा के प्रयासों से कार्यक्रम में प्रतिभागी के रूप में जुड़े स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय माना कैम्प के विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये एयरोप्लेन के मॉडल एवं विभिन्न ड्रोन के एयर शो के प्रदर्शन के साथ संपन्न हुई।

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