लिवर की खराबी एक गंभीर समस्या है जो आगे चलकर लिवर सिरोसिस का रूप ले लेती है। इस बीमारी के लक्षण तभी पता चलते हैं जब वो बिल्कुल आखिरी स्टेज में आ जाते हैं। लिवर सिरोसिस का पूरी तरह से इलाज संभव नही है।
लेकिन समय रहते आप लिवर को खराब होने से बचा लें तो लिवर सिरोसिस होने की संभावना कम रहती है। इस बीमारी का खतरा हेपेटाइटिस के इंफेक्शन, ज्यादा मात्रा में शराब और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की वजह से होता है। जिसमे केवल एक मात्र उपाय लिवर को ट्रांसप्लांट करना है।
लिवर सिरोसिस के लक्षण
लिवर सिरोसिस के परिणाम काफी घातक होते हैं लेकिन आयुर्वेद की मदद से इन घातक परिणामों से बचा जा सकता है। पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, पीलिया, कमजोरी, जोड़ों में दर्द, बुखार, उल्टी, पेट में पानी भरना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इन समस्याओं में कुछ आयुर्वेद जड़ी-बूटियां काम आती हैं।
तुलसी के पत्ते से लिवर होता है ठीक
तुलसी के पत्तों में हेपाटो प्रोटेक्टिव गुण होता है। जो लिवर को डैमेज होने से बचाता है। लिवर खराब होने से बचाना चाहते हैं तो तुलसी के पत्ते के रस या जूस को पिएं। आयुर्वेद में लिवर सिरोसिस में इसे पीने की सलाह दी जाती है।
आंवला का जूस है फायदेमंद
अगर आपका पेट अक्सर खराब रहता है तो आंवले के जूस को पिएं। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है और लिवर भी ठीक रहता है। लिवर से जुड़ी समस्याओं में आंवला और एलोवेरा जूस को मिलाकर पीने की सलाह दी जाती है।
आयुर्वेद में और भी हैं जड़ी-बूटियां
आयुर्वेद के एक्सपर्ट आंवला और तुलसी के पत्तों के साथ ही त्रिफला, अर्जुन की छाल, पिप्पली जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का काढ़ा पीने की सलाह देते हैं।