भौपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि को बढ़ाने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट केंद्र की क्यूरेटिव याचिका पर फैसला सुनाएगा. दरअसल, केंद्र द्वारा यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर दायर क्यूरेटिव पिटीशन पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.
यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भारत सरकार ने निपटान (1989 के) के समय कभी भी यह सुझाव नहीं दिया कि यह अपर्याप्त था. फर्मों के वकील ने इस बात पर जोर दिया कि 1989 के बाद से रुपये का अवमूल्यन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए अब मुआवजे की मांग का आधार नहीं बन सकता है
दलीलें सुनने के बाद, 12 जनवरी को न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
यूसीसी की उत्तराधिकारी फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया- जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जे.के. माहेश्वरी भी शामिल हैं- कि 1995 से शुरू होकर 2011 तक समाप्त होने वाले हलफनामे हैं, जहां भारत सरकार ने यह सुझाव देने के हर एक प्रयास का विरोध किया है कि समझौता अपर्याप्त है.