26 मार्च को नवरात्रि का पांचवा दिन है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की अराधना की जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था, इसलिए मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहते हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कहते हैं कि एक तारकासुर नामक राक्षस था। जिसका अंत केवल शिव पुत्र के हाथों की संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए स्कंद माता का रूप लिया था। स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।
स्कंदमाता, हिमालय की पुत्री पार्वती हैं। इन्हें माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जाना जाता है। पर्वत राज हिमालय की पुत्री होने के कारण पार्वती कही जाती हैं। इसके अलावा महादेव की पत्नी होने के कारण इन्हें माहेश्वरी नाम दिया गया और अपने गौर वर्ण के कारण गौरी कही जाती हैं। माता को अपने पुत्र से अति प्रेम है। यही कारण है कि मां को अपने पुत्र के नाम से पुकारा जाना उत्तम लगता है। मान्यता है कि स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को मां संतान सुख और सुख-संपत्ति प्राप्त होने का वरदान देती हैं।