सोमवार को राष्ट्रपति भवन में वाराणसी के 126 साल के स्वामी शिवानंद को भारतीय जीवन पद्धति और योग को बढ़ावा देने के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति भवन में जब वह सम्मान लेने के लिए पहुंचे तो हर किसी की नजर उनकी सादगी पर थी। राष्ट्रपति भवन में शीश नवाकर चर्चा में आए स्वामी शिवानंद के बारे में हर कोई जानना चाहता है। खासतौर पर उनकी लंबी आयु का राज जानने में लोगों की दिलचस्पी है।
स्वामी शिवानंद ने महज 6 साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद उनके रिश्तेदारों ने उन्हें एक आध्यात्मिक गुरु को सौंप दिया था, जिनके साथ उन्होंने देश भर की यात्राएं की थीं। वह आज भी एकदम फिट हैं और अकसर ट्रेन में अकेले ही यात्रा करते हैं। अंग्रेजी राज में जन्मे शिवानंद कहते हैं कि आज भी उन्हें तकनीक से जुड़ने में कोई रुचि नहीं है और पुराने ढंग से ही जीवन गुजार रहे हैं। वह संतोषी जीवन को महत्व देते हैं। स्वामी शिवानंद कहते हैं, ‘पहले लोग कम चीजों के साथ ही खुश रहते थे। आज लोग नाखुश हैं, बीमार हैं और ईमानदारी भी कम हो गई है। इससे मुझे बहुत दुख होता है। मैं चाहता हूं कि लोग खुश रहें, स्वस्थ रहें और शांतिपूर्ण जीवन गुजारें।’
स्वामी शिवानंद ने कहा था, ‘मैं सादगी भरी और अनुशासित जिंदगी जीता हूं। मैं बेहद सादा भोजन करता हूं, जिसमें सिर्फ उबला खाना शामिल होता है। इसमें किसी भी तरह का तेल या फिर मसाला नहीं होता है। दाल, चावल और हरी मिर्च आमतौर पर मैं खाता हूं।’ 5 फुट 2 इंच लंबे स्वामी शिवानंद एक चटाई पर ही सोते हैं। यही नहीं वह कहते हैं कि मैं दूध और फल भी नहीं खाता हूं क्योंकि ये फैन्सी फूड हैं। मैं तो बचपन में कई बार भूखा भी सोया हूं। खुद को दुनिया का सबसे लंबी उम्र का व्यक्ति बताए जाने के दावे पर भी उन्होंने कहा था कि मैं कभी प्रचार में यकीन नहीं करता हूं, लेकिन मेरे अनुयायियों का कहना था कि मुझे ऐसा दावा करना चाहिए।
स्वामी शिवानंद ने बताया था कि वह सेक्स से दूर रहते हैं और मसालों का भी सेवन नहीं करते हैं। इसके अलावा रोजाना योग करना उनके जीवन का हिस्सा है। शिवानंद के पासपोर्ट के मुताबिक उनका जन्म 8 अगस्त, 1896 को हुआ था। 19वीं सदी के अंत में जन्मे स्वामी शिवानंद को आज 21वीं सदी के 2022 में सम्मान मिला है। इस तरह वह 126 साल के हो गए हैं और तीन सदियां देख चुके हैं। वह अब भी घंटों योग करते हैं। बेहद गरीब परिवार में जन्मे स्वामी शिवानंद ने संन्यास की राह चुन ली थी। इसके अलावा अपनी जिंदगी को योग और भारतीय जीवन पद्धति को समर्पित कर दिया।