सूडान पिछले एक हफ्ते से जल रहा है. सूडान में 15 अप्रैल से सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच जारी संघर्ष में अब तक 400 लोगों की मौत हो चुकी है. राजधानी खार्तूम सहित सूडान के कई शहर तबाह हो चुके हैं. सूडान में सेना प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल बुरहान और आरएसएफ के प्रमुख जनरल मोहम्मद हमदान दगालो के बीच वर्चस्व की जंग जारी है. सूडान में सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच जंग कौन जीतेगा, इस बात को लेकर भी चर्चा होने लगी है. विशेषज्ञों का मानना है कि अल-बुरहान की सेना आरएसएफ की तुलना में अधिक मजबूत है. ऐसे में अर्धसैनिक बलों के जीत की संभावना कम लगती है. हालांकि शहरी क्षेत्रों में अर्धसैनिक बल के जवान सेना पर हावी रहेंगे.
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, जारी हिंसा की चपेट में और कई मुख्य शहर जल्दी ही आ सकते हैं. मालूम हो कि यह हिंसक झड़प सूडान की राजधानी खार्तूम से शुरू हुई थी लेकिन अब इस जंग ने ओमडुरमैन और दारफुर समेत कई शहरों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप का कहना है कि सेना और अद्धसैनिक बलों के बीच जारी यह हिंसा एक युद्ध का रूप ले रही है. आगे चल कर इस युद्ध का प्रभाव पड़ोसी देशों पर भी पड़ सकता है ऐसे में भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के कैमरून हडसन का कहना है कि हिंसा सूडान की सीमाओं के पार बढ़ सकती है. हडसन कहते हैं कि चुनौती यह है कि संघर्ष देश के हर कोने में फैला हुआ है. ऐसे में यह लड़ाई सूडान के बाहर आती है तो इसमें किसी को हैरानी नहीं होनी चाहिए.
मालूम हों कि जारी हिंसा के बीच खार्तूम में कई अस्पताल बंद हो गए हैं. इस हिंसा के बीच भारत के भी कई लोग सूडान के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हैं. यौन शोषण, बलात्कार जैसी घटनाएं यहां काफी बढ़ गई है. बताते चलें कि सूडान में अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार का तख्तापलट हुआ था. जिसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं.