योगेश यादव/बलौदाबाजार- 20 मार्च को कसडोल थाने में दो मासूम बच्चों की गुमशुदा की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। ग्राम चकरवाय निवासी ने थाना कसडोल आकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि इनके बच्चे शौर्य उर्फ गोयल चेलक पिता उमेंद्र चेलक उम्र 07 वर्ष तथा, लवेन्द्र पिता जनक राम चेलक उम्र 08 वर्ष सुबह घर से कहीं चले गए हैं तथा इन्हें पूरे गांव में तथा आसपास ढूंढने पर भी कहीं नहीं मिल रहे हैं, कि रिपोर्ट पर थाना कसडोल पुलिस द्वारा त्वरित कार्यवाही करते हुए अपराध क्र. 212/2022 धारा 363 भादवि पंजीबद्ध कर निरीक्षक आशीष राजपूत, उपनिरी हितेश जंघेल के नेतृत्व मे पुलिस की 04 टीमों का निर्माण कर दोनों बच्चों की खोजबीन कार्यवाही प्रारंभ* की गई। इस दौरान दिनांक 22.03.2022 को ग्राम चकरवाय से 02 किलोमीटर दूर खेत-खार में दोनों बच्चों की लाश बरामद हुई। मामले की सूचना मिलने पर तत्काल वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री दीपक कुमार झा घटनास्थल पर पहुंचे, सांथ ही पूरे बलौदाबाजार जिले से अलग-अलग थाना प्रभारियों को अपनी टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पहुंचने निर्देशित किया गया। प्रकरण मे FSL टीम एवं डाग स्क्वायड की टीम द्वारा घटनास्थल का सुक्ष्मतापूर्वक निरीक्षण किया गया। दोनों बच्चों का शव डी-कंपोज हो चुका था, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि घटना कुछ दिनों पूर्व का है। सांथ ही मृत बच्चों के शरीर में चोट के भी कई निशान पाए गए थे। कि प्रथम दृश्टया लाठी डंडे से पीटकर एवं चोट पहुंचाते हुये दोनों बच्चों की हत्या करना प्रदर्शित हो रहा था। कि प्रकरण में दोनों बच्चों की निर्मम हत्या करने वाले अज्ञात आरोपियों के विरुद्ध अपराध क्र. 213/2022 धारा 302 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना कार्यवाही प्रारंभ की गई।
ग्राम मे एक साथ दो बच्चों के हत्या होने जैसे गंभीर घटना को दृष्टिगत रखते हुए तथा इस अंधे दोहरे हत्याकांड मे तत्काल आरोपियों की धरपकड़ हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय श्री दीपक कुमार झा द्वारा श्री पीताम्बर पटेल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में पुलिस की कुल 10 टीम का गठन किया गया, जिसमें श्री सुभाष दास एसडीओपी बलोदाबाजार, निरीक्षक आशीष राजपूत थाना प्रभारी कसडोल, निरीक्षक डी.बी.उईके थाना प्रभारी भटगांव, निरीक्षक अरुण साहू थाना प्रभारी गिधौरी, निरीक्षक महेश ध्रुव थाना प्रभारी भाटापारा शहर, उपनिरी हितेश जंघेल चौकी प्रभारी लवन, उपनिरी रोशन राजपूत थाना प्रभारी भाटापारा ग्रामीण, उपनिरी उमेश वर्मा प्रभारी साइबर सेल तथा रायपुर क्राइम ब्रांच शामिल थे। पुलिस की इन टीमों द्वारा घटना के समस्त बिंदुओं का आकलन करते हुए आरोपियों की पहचान कार्यवाही प्रारंभ की गई।
पुलिस इस प्रकार पहुंची आरोपियों तक
पुलिस की अलग-अलग टीमों ने गांव में ही कैम्प कर घटनास्थल एवं आसपास के क्षेत्रों का गहन मुआयना कर रही थी, तो पुलिस की दूसरी टीम मृत बच्चों के परिवार वालों, रिश्तेदारों, बच्चों के मित्रों एवं अन्य व्यक्तियों से लगातार विस्तृत पूछताछ कर रही थी। इसी दौरान प्रकरण में पता चला कि दोनों मृतक बालकों को अंतिम बार दोपहर में गांव से निकलते देखा गया था, तथा इसी समय गांव के ही अन्य बालकों के भी नदी में नहाने जाने की जानकारी मिली थी, *जिसमे शामिल 02 आरोपी अपचारी बालकों का दोनों मृत बालको से आम तोड़ने की बात पर से वाद-विवाद हुआ* था। कि उक्त अपचारी बालकों से लगातार मनोवैज्ञानिक रूप से पूछताछ करने पर इन बालकों ने दोनों बच्चों की हत्या करना कबूल किया तथा *प्रकरण में शामिल अपने अन्य 02 अपचारी आरोपी बालकों* एवं घटना के संबंध में भी पूरी बात बताये।
हत्याकांड की मुख्य वजह जो सामने आई
मामले में मृतक एवं आरोपी बच्चों के मध्य आम तोड़ने की बात पर वाद विवाद हुआ था, कि घटना दिनांक को दोनों मृतक बच्चे नदी में नहा कर वापस घर आ रहे थे, इसी बीच उनका सामना आरोपी बच्चों से हो गया। तत्पश्चात आरोपी अपचारी बालकों ने पूर्व में हुए वाद विवाद की बात को लेकर मृतक बच्चों के साथ मारपीट करना प्रारंभ कर दिया। मारपीट से बचने के लिए दोनों मृतक बच्चे खेत की तरफ भागने लगे। आरोपी बालक भी मृतक बच्चों को पकड़ने के लिए इनके पीछे भागने लगे। ग्राम से कुछ दूर जाने के पश्चात इन चारों आरोपी बालकों द्वारा मृतक बच्चों को घटनास्थल के पास घेरकर पकड़ा गया। इसके बाद चारों अपचारी बालकों ने गुस्से में आकर पास में ही रखे लाठी से दोनों बच्चों को मारना प्रारंभ कर दिया, जिससे घटनास्थल पर ही दोनों बच्चों शौर्य एवं लवेन्द्र की मृत्यु हो गई। आरोपी अपचारी बालकों से 02 नग लाठी बरामद किया गया है।
अपचारी बालक:-
1) अपचारी बालक उम्र 14 वर्ष
2) अपचारी बालक उम्र 14 वर्ष
3) अपचारी बालक उम्र 12 वर्ष
4) अपचारी बालक उम्र 11 वर्ष
कि इस अंधे दोहरे हत्याकांड का पर्दाफाश करने में उल्लेखित थाना एवं चौकी प्रभारियों के नेतृत्व में प्रधान आरक्षक नवीन कुर्रे, जगदीश राठौर, धनंजय यादव, परमानंद रथ, संजय सोनी, आरक्षक मृत्युंजय महिलांगे, सुजीत तंबोली, रामलाल कैवर्त, राजेंद्र साहू, अमीर राय, सूरज पाटले, मनोज ब्रम्हे सहित रायपुर क्राइम का भी सराहनीय योगदान रहा है।