वनभूमि पर काबिज आदिवासी परिवार को मिल रहा भूमि सुधार व सिंचाई के साधन का लाभ
कोरिया, 15 मई 2023 : वनांचल में रहने वाले आदिवासी परिवारों के जीवन में खुषहाली लाने में महात्मा गांधी नरेगा एक कारगर योजना साबित हो रही है। एक ओर वनवासियों को राज्य सरकार वनाधिकार पत्रक देकर उन्हें काबिज भूमि का अधिकार प्रदान कर रही है वहीं दूसरी ओर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत वनवासियों को वन भूमि को खेती के लायक बनाकर कुंए डबरी से सिंचाई जैसी सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो रहा है। मनेन्द्रगढ़ भरतपुर चिरमिरी जिले के ग्राम पंचायत महाई में रहने वाले वनवासी श्री गुलाब सिंह का परिवार अब वनांे में रहकर भी खुषहाली की राह पर आगे बढ़ रहा है। अपने परिवार के बारे में जानकारी देते हुए आदिवासी वर्ग के किसान श्री गुलाब सिंह ने बताया कि पहले उनके पास भूमि का अधिकार नहीं था तो उनका परिवार मनरेगा के तहत पंजीकृत श्रमिक बनकर केवल अकुषल रोजगारमूलक कार्यों में मजदूरी पर ही आश्रित रहता था। उनके पिता महाई के वनों के पास वर्षों से निवासरत थे जिनका उन्हे तीन साल पहले वनाधिकार पत्रक प्राप्त हुआ है। इस परिवार के पास लगभग एक एकड़ वन भूमि है। यहां वह अपनी पत्नी श्रीमती फुलबसिया, बेटी मीराबाई व पुत्र विजय सिंह के साथ निवासरत हैं। वन भूमि का अधिकार पत्र मिलने के बाद गुलाब सिंह के पास एक समस्या थी कि उबड़ खाबड़ इस वनभूमि को बारहमासी खेती के लायक कैसे बनाया जाए। इसके लिए उन्हे महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत भूमि सुधार का लाभ मिला और वनभूमि को उन्होने मनरेगा श्रमिकों के साथ मिलकर खेती के लायक बना डाला। जब खेत बनकर तैयार हुए तो उसमें सिंचाई के साधन के तौर पर मनरेगा योजना अंतर्गत कूप निर्माण के लिए स्वीकृति प्रदान की गई। ग्राम पंचायत महाई की ग्राम सभा के प्रस्ताव के आधार पर श्री गुलाब सिंह को निजी वन भूमि पर सिंचाई सुविधा के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 में कुआं निर्माण की के लिए एक लाख अस्सी हजार रुपए की राशि स्वीकृत हुई।
श्री गुलाब सिंह ने बताया कि मनरेगा से कुआं की स्वीकृति मिलने के बाद ग्राम पंचायत की मदद से उन्होंने अपने जमीन में पक्का कुआं बनाया और उसके बाद से रोजी रोटी के लिए और कहीं जाने की चिंता समाप्त हो गई। अब उनका पूरा परिवार सब्जी-भाजी के उत्पादन में जुटा रहता है और साल भर में साग सब्जी का बेचकर वह लगभग चालीस हजार रुपए मुनाफा कमा लेते हैं। इसके अलावा घर में साल भर खाने के लिए पर्याप्त अनाज धान गेहूं भी पर्याप्त हो जाता है। अभी जबकि बैसाख की गर्मी अपने चरम पर है गुलाब सिंह के खेत में मक्के और केले की फसल लगी हुई है। कुंआ निर्माण के बाद से एक वनवासी किसान परिवार की अकुषल रोजगार के साथ अपनी अतिरिक्त आय के लिए भी आत्मनिर्भर हो रहा है। कार्यक्रम अधिकारी मनेन्द्रगढ़ रमणीक गुप्ता ने बताया कि यह पंजीकृत परिवार बीते चार वर्षों से लगातार 100 दिवस का अकुषल रोजगार प्राप्त कर रहा है। इसलिए मनरेगा के तहत पंजीकृत परिवार के वयस्क सदस्य विजय सिंह को मनरेगा अंतर्गत प्रोजेक्ट उन्नति के तहत चयनित किया गया है और उन्हे बकरी पालन के पारंपरिक कार्य का निषुल्क व्यवसायिक प्रषिक्षण आगामी माह मे दिलाया जाएगा। इससे इस परिवार के पास एक अच्छा स्वरोजगार का माध्यम भी बन सकेगा।