एक मरीज़ अचानक सीने और पीठ में दर्द की तकलीफ लेकर अस्पताल पहुंचा। अस्पताल आतेही उसके स्थिति का एक व्यापक मूल्यांकन किया गया, जिसमें सीटी एंजियोग्राम जैसे छवि अध्ययन शामिल थे और इससे पता चला कि उसके शरीर में आर्च वेसल्स में दरार पैदा हो गई है, जिसे आवर्तित्रा कहा जाता है। यह शरीर की सबसे बड़ी रक्तनाली होती है, जो मस्तिष्क समेत सभी अंगों को रक्त प्रदान करती है।
इस गंभीर स्थिति को संघटित करने के लिए एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल, रायपुर में एक आपातकालीन जटिल हाइब्रिड प्रक्रिया की गई। डॉ. पी के हरि कुमार- वरिष्ठ कार्डियक सर्जन और डॉ. सुनील गौनियाल वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन परीक्षण किए गए। इस प्रक्रिया में आर्च वेसल्स के दरार को ठीक करने के लिए डिब्रांचिंग और टी.ए.वी.आर (थोरेसिक एंडोवास्कुलर एआर्टिक रिपेयर) का तकनीक का उपयोग किया गया। टी.ए.वी.आर एक न्यूनतम चिकित्सा प्रणाली है जिसमें आर्च वेसल्स में एक स्टेंट स्थापित किया जाता है, जो ररक्तनली की दरार को बंद करता है। यह तकनीक छाती को खोलने (ओपन सर्जरी) से बचाते हुए मस्तिष्क समेत शरीर के ऊपरी हिस्से में रक्त प्रवाह सुनिश्चित करती है। यह जटिल हाइब्रिड प्रक्रिया छत्तीसगढ़ में होने वाले सबसे दुर्लब और जटिल प्रक्रिया में से एक है। इस प्रक्रिया की सफलता चिकित्सा टीम के विशेषज्ञता को जाती है। डॉ. पी. के. हरि कुमार वरिष्ठ हृदय शल्य चिकित्सक, और डॉ. सुमित गुप्ता, हृदय शल्य चिकित्सक, इस सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। स्टेंट (टी.ए.वी.आर प्रक्रिया) की स्थापना डॉ. सुनील गौनियाल – वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. सुमन्म शेखर पधी वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. जिनेश जैन और डॉ. स्नेहिल गोस्वामी ने की। इस संपूर्ण प्रक्रिया में डॉ. राकेश चंद, डॉ. अरुण अंदन और डॉ. धर्मेश लाड जैसे कार्डिएक अनेस्थिशिया टीम ने महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की। एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर, श्री तापनी घोष जी, ने टीम को बधाई दी और कहा कि “जटिल हृदय प्रक्रियाएं एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर में नियमित रूप से की जाती हैं। हमारी कार्डिएक साइंसेज के टीम की परिपूर्णता के कई उदाहरण हाली के ही देखे जा सकतें हैं। हमारा अस्पताल अत्यधिक कार्डिएक तकनीकों को सफल बनाने के लिए पूर्ण रूप के सुसज्जित है। “