चांदी से पांच गुना महंगा हुआ कश्मीरी केसर, ईरान को झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब ढाई साल पहले कश्मीर के किसानों के लिए एक सपना देखा था। वह अब सच साबित हुआ है। आज कश्मीरी केसर चांदी से भी पांच गुना महंगा बिक रहा है।

ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीरी केसर के 10 ग्राम का एक पैकट और 47 ग्राम चांदी की कीमत बराबर है- करीब 3,250 रुपए। कश्मीर घाटी की इस बेशकीमती फसल की किस्मत जीआई टैग ने बदल दी है। पिछले साल यह करीब 2 लाख रुपए किलो बिक रहा था। अब इसकी कीमत 3.25 लाख किलो पहुंच गई है।

जीआई टैग ने चमकाई कश्मीर केसर की किस्मत

जियोग्रैफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग से किसी उत्पाद के विशेष भौगोलिक उत्पत्ति और उसकी खास गुणवत्ता के बारे में पता चलता है। इसकी वजह से इस स्वदेशी मसाले ने वैश्विक बाजार में ईरानी केसर को बुरी तरह पछाड़ दिया है। क्योंकि, कश्मीरी केसर की शुद्धता और सुगंध बेजोड़ मानी जाती है।

अमेरिका-यूरोप कर रहे हैं आयात

कश्मीर के कृषि निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने कहा, ‘कश्मीर का केसर दुनिया में एकमात्र जीआई-टैग्ड केसर है। अब अमेरिका, कनाडा और यूरोप ने कश्मीर से केसर उठाना शुरू कर दिया है।’ उनके मुताबिक, ‘किसानों को अब उनकी फसल के लिए अच्छी कीमत मिल रही है और कारोबारियों की भी अच्छी कमाई हो रही है।’

जीआई टैग से किसानों को हो रहा है फायदा

कश्मीरी केसर के पंपोर सेंटर में डलझील केसर कंपनी के मालिक रहमान अहमद भी इससे सहमति जताते हैं। उन्होंने कहा, ‘केसर किसानों को सही में जीआई टैग से मदद मिली है।’ उन्होंने बताया, ‘शुरू में केसर किसानों को 1. 30-1. 5 लाख रुपए प्रति किलो मिलता था। अब, वह बढ़कर 1. 8-2 लाख रुपए हो गया है। ‘

कई वजहों से मशहूर है कश्मीरी केसर

इस तरह से इस सुनहरी फसल की किसम्त चमक चुकी है। यह खाने के अनेकों व्यंजनों में रंग, स्वाद और सुगंध के लिए इस्तेमाल होता है और इसकी वजह से कश्मीर घाटी की रौनक अलग तरह से वापस लौटनी शुरू हो गई है। इसका उत्पादन कई गुना बढ़ गया है, जिससे इससे जुड़े हर तरह के लोगों के दिन बदलने की उम्मीद जगी है।

दुनिया में ईरानी केसर की खुल गई पोल

दरअसल, जीआई टैग की वजह से कश्मीर के किसानों को ईरानी केसर की वजह से पैदा होने वाली बाधाओं से छुटकारा मिल गया है। डेटा केसर के मालिक इरफान कुंगवानी ने कहा, ‘वैश्विक बाजार में ईरान का केसर भारतीय केसर के लिए बहुत ज्यादा दिक्कतें पैदा करता है।’ ‘यह कश्मीरी केसर कहकर बेचा जा रहा था। लेकिन, जीआई टैग ने ईरानी केसर को भारतीय बताकर बेचने पर रोक लगा दी है।’

पीएम मोदी ने का था- ग्लोबली पॉपुलर ब्रांड बनना चाहते हैं

कश्मीरी केसर को मई, 2020 में जीआई टैग दिया गया था। उसी साल दिसंबर में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था, ‘हम कश्मीरी केसर को एक ग्लोबली पॉपुलर ब्रांड बनना चाहते हैं। कश्मीरी केसर वैश्विक स्तर पर एक ऐसे मसाले के रूप में प्रचलित है, जिसके कई औषधीय गुण हैं। यह अत्यंत सुगंधित, रंग गाढ़ा और इसके धागे लंबे और मोटे होते हैं, जो इसकी मेडिसिनल वैल्यू को बढ़ाते हैं।’

सच हुई पीएम मोदी की ये भविष्यवाणी

पीएम मोदी ने तब यह भी कहा था कि कश्मीरी केसर की क्वालिटी यूनिक है और दूसरे देशों से पूरी तरह से अलग है। पीएम मोदी ने इसे दुबई के एक सुपर मार्केट में लॉन्च किए जाने के बाद कहा था ‘अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने की हमारी कोशिशों को और मजबूती देगा। केसर के किसानों को इससे विशेष रूप से लाभ होगा।’

केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए नेशनल सैफ्रन मिशन भी चल रहा है। पीएम मोदी ने देशवासियों से यह भी अपील की थी कि ‘अगली बार जब आप केसर खरीदने का मन बनाएं तो कश्मीर का ही केसर खरीदने की सोचें। कश्मीरी लोगों की गर्मजोशी ही ऐसी है, कि वहां के केसर का स्वाद ही अलग होता है। ‘

नेशल सैफ्रन मिशन से हो रहा है फायदा

कश्मीर में सालाना 18 टन केसर का उत्पादन होता है। यह मूल रूप से इस केंद्र शासित प्रदेश के पुलवामा, बडगाम और किस्तवार जिलों में उगाया जाता है। सरकार इसके पैदावार को सालाना 25-27 टन तक ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। प्रदेश के कृषि निदेशक के मुताबिक, ‘इसकी फसल को पुनर्जीवित करने के इरादे से शुरू की गई नेशल सैफ्रन मिशन के बाद से इसका उत्पादन 1.8 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर करीब 5 किलो प्रति हेक्टेयर तक पहुंच चुका है।’

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