बिछिया का महत्व आज से नहीं बल्कि रामायण काल से चला आ रहा है। मान्यताओं के अनुसार, जब रावण ने माता सीता का हरण किया था, तब माता सिता ने अपने गहनों को मार्ग में गिरा दिया था। उन्हीं गहनों को मार्ग में देखकर भगवान राम को माता सीता का पता चला था। इन्हीं गहनों में एक बिछिया भी था। तब से बिछिया को सुहाग के निशानियों में से एक माना जाता है। आमतौर पर बिछिया को पैरों के मध्य अंगुली में ही पहनने का नियम है, लेकिन आजकल महिलाएं 2 से 3 अंगुलियों में पहनती हैं। इसके अलावा पैर में पहने जाने वाले इस धातु का संबंध चन्द्रमा से भी माना जाता है, जो पति-पत्नी के अच्छे संबंध को बनाने का कारक माना जाता है।
चांदी की बिछिया पहनने के फायदे
-चांदी को हमारे शरीर के लिए अच्छा धातु माना जाता है। चांदी में पृथ्वी की ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करने की क्षमता पाई जाती है।
-चांदी को चांदी के कारक के रूप में भी माना जाता है।
-चांदी की बिछिया पहनने से पति-पत्नी के बीच में प्रेम बना रहता है।
-चांदी हमारे शरीर के नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करके सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।