मां कात्यायनी आकर्षक की शक्ति का स्वरूप हैं। इनकी भक्ति और उपासना से मनुष्य को अर्थ,धर्म, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है। गुरुवार को मां के छठवें स्वरूप का दर्शन होगा। मान्यता है कि विधि-विधान के साथ मां की आराधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आदि शक्ति के छठे स्वरूप को मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। यह अद्भत रूप वाली हैं। नवरात्र के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है। योग साधना में आज्ञा चक्र का अलग महत्व होता है। जातक का मन आज्ञा चक्र में स्थित होने के कारण देवी कत्यायनी प्रसन्न होकर भक्तों को दर्शन देती हैं। शक्ति का यह रूप भव्य व प्रभावशाली होता है। माता कत्यायनी सदैव शेर पर सवार रहती हैं। इनकी उपासना व साधना से जीवन के चारों पुरुषार्थ अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कैसे करें आदिशक्ति के छठे स्वरूप की पूजा
आदि शक्ति मां दुर्गा के छठे स्वरूप माता कत्यायनी को प्रसन्न करने के लिए देवी भक्त फूलो की माला अर्पित करें। इन देवी को शहद व पुष्पों की माला बहुत प्रिय है। माता रानी को प्रसन्न करने के लिए साधक लाल रंग के कपड़े पहन कर मां की आराधना करें। ऐसे में मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।
महिषासुर नामक राक्षस का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। राक्षस के अत्याचार से देवता परेशान हो गए थे। इसके बाद त्रिदेव ने अपने तेज से मां कत्यायनी को पैदा किया। महार्षि कत्यायन की इच्छ़ा थी कि देवी उनके घर पुत्री रूप में पैदा हों। इसके बाद देवी ने अश्वनि मास की कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लिया। महार्षि कत्यायन की प्रार्थना स्वीकर करते हुए मां कत्यायनी ने महिषासुर का वध करते हुए देवताओं को मुक्ति दिलाई थी। इसके बाद उन्होंने शुंभ, निशुंभ समेत कई अन्य राक्षसों का भी वध किया था।
विद्या-ज्ञान, बुद्धि की देवी हैं मां कात्यायनी
जगत जननी मां दुर्गा के छठवें स्वरूप की आराधना व पूजा करने से विद्या-ज्ञान व बुद्धि का विकास होता है। स्वर्ग के समान तेजस्विनी मां धर्म, अर्थ, काम, लोभ व मोक्ष को प्रदान करने वाली हैं। मान्यता है कि जो भी देवी भक्त मां कत्यायनी की सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान श्रीकृष्ण को पति की रूप में पाने के लिए गोपिकाओं ने मां कात्यायनी की आराधना की थी।