एक पौराणिक कथा में इसके बारे में बताया गया है. कहा जाता है कि देवर्षि नारद जी ने भी मां लक्ष्मी से इस बारे में सवाल किया था. तब देवी लक्ष्मी ने उत्तर देते हुए कहा था कि मनुष्य हो या फिर देवता, ग्रहों का प्रभाव सभी पर समान रूप से पड़ता है. स्त्रियों के हाथ में देवगुरु निवास करते हैं तो वहीं, पुरुष के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास होता है. जब कोई स्त्री अपने पति के चरण स्पर्श करती है तो देव-दानव का मिलन होता है और इससे धनलाभ होता है. यही कारण मां लक्ष्मी श्रीहरि के चरण दबाती हैं.
ये भी है मान्यता
कहा जाता है कि मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पैर अपनी बहन अलक्ष्मी के कारण भी दबाती हैं. अलक्ष्मी अपनी बड़ी बहन मां लक्ष्मी जी के सौंदर्य को देखर बहुत ईर्ष्या करती थीं. जब भी मां लक्ष्मी श्रीहरि के साथ होतीं, उनकी बहन यानी अलक्ष्मी भी वहां पहुंच जाती. अलक्ष्मी ने कहा कि जहां भी लक्ष्मी जी जाएंगी, वह उनके साथ जाएंगी. अपनी बहन की बात सुनकर लक्ष्मी जी ने उसे श्राप देते हुए कहा कि जहां ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष और गंदगी होगी वहां तुम निवास करोगी. ये भी वजह है कि मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के चरणों की गंदगी दूर करती रहती हैं.