कर्ज में डूबी कंपनी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड की लोन समाधान प्रक्रिया को लेकर रिजर्व बैंक की तरफ से नियुक्त प्रशासक और लेंडर्स के बीच मतभेद पैदा हो गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि आरसीएल और इसकी सहायक कंपनियों के लोन समाधान के लिए 25 मार्च तक 54 बोलियां मिली थीं। आरसीएल के लिए रुचि पत्र (ईओआई) भेजने का यह अंतिम दिन था।
बोलीकर्ताओं के पास दो विकल्प थे
इनमें से 22 ईओआई आरसीएल के लिए एक कंपनी के तौर पर आए हैं, जबकि बाकी बोलियां इसकी आठ सहायक कंपनियों में से अलग-अलग के लिए लगाई गई हैं। आरसीएल की तरफ से सभी बोलीकर्ताओं के लिए दो विकल्प दिए गए थे। पहले विकल्प में आरसीएल और उसकी सब्सिडियरी के लिए बोली लगाई जा सकती थी जबकि दूसरे विकल्प में सब्सिडियरी कंपनियों के लिए अलग-अलग या जोड़ बनाकर बोली लगाने की सुविधा दी गई थी। आरसीएल की सहायक कंपनियों में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस, रिलायंस हेल्थ इंश्योरेंस, रिलायंस निप्पन लाइफ इंश्योरेंस, रिलायंस एसेट रिकंस्ट्रक्शन और रिलायंस सिक्योरिटीज शामिल हैं। हालांकि, बकाया कर्ज की वसूली के लिए दिवाला प्रक्रिया के संचालन को लेकर रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक और कर्जदाता बैंकों के बीच मतभेद पैदा होने की खबरें हैं।