उर्दू के मशहूर शायर मुनव्वर राणा इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। देर रात लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह 71 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि राणा पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। वह किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित थे।
मुनव्वर राणा एक मशहूर उर्दू कवि थे और उन्होंने कई ग़जलें लिखीं हैं। बेबाक और निर्भीक बयानबाजी उनकी कविताओं में भी झलकती थी। 2014 में उर्दू साहित्य के लिए मिले साहित्य अकादमी पुरस्कार को उन्होंने यह कहकर ठुकरा दिया था कि देश में असहिष्णुता बढ़ती जा रही है। उन्होंने कसम खाई थी कि वे कभी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करेंगे।
रविवार देर लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हुआ। वह किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित थे।
कवि मुनव्वर राणा उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में भी सक्रिय थे। उनकी बेटी सुमैया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य हैं। राणा अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहते हैं।