बढ़ती गर्मी के साथ बिजली संकट गहराने लगा है। यूपी, झारखंड, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली कटौती से लोग बेहाल हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में। वहीं, केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के आकंड़ो के मुताबिक, देश भर के 65 फीसदी बिजली संयंत्रों में महज सात दिन का कोयला बचा है। कोयले की कमी को देखते हुए यह संकट और गहरा सकता है।
कई राज्य अपनी मांग को पूरा करने के लिए ग्रिड से अतिरिक्त बिजली ले रहे हैं। ग्रिड ऑपरेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉर्प (पोसोको) ने राज्यों को पत्र लिखकर पश्चिमी क्षेत्र में लोड डिस्पैच सेंटर से अतिरिक्त बिजली नहीं लेने की चेतावनी दी है। ताकि, ग्रिड को किसी तरह का कोई नुकसान न हो। सूत्रों का कहना है कि बिजली संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्य डिस्पैच सेंटर से ज्यादा बिजली ले रहे हैं। इससे राष्ट्रीय ग्रिड पर दबाव बढ़ सकता है। पश्चिमी क्षेत्र लोड डिस्पैच सेंटर ने अधिक बिजली निकासी के खिलाफ केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) में याचिका भी दायर की थी। जिसके बाद राज्यों को यह हिदायत दी गई थी।
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) के आकंड़ो के मुताबिक, देश में कुल 173 बिजली संयंत्र हैं। इनमें 9 संयंत्र पूरी तरह बंद पड़े हैं, जबकि 106 संयंत्रों में कोयले की स्थिति क्रिटिकल स्टेज में है। बिजली संयंत्र में कोयले का स्टॉक ‘क्रिटिकल’ श्रेणी में होने का अर्थ यहां होता है कि संयंत्र में सात दिन से कम का कोयला बचा है। ऐसा नहीं है कि बिजली संयंत्रों पर अतिरिक्त भार पड़ने की वजह से कोयला संकट पैदा हुआ है। सीईए के आंकड़े बताते हैं कि 21 जनवरी को सिर्फ 79 बिजली संयंत्र क्रिटिकल स्टेज में थे। फरवरी के अंत तक यह आंकड़ा 84 और मार्च के अंत तक (21 मार्च) तक 85 संयंत्र क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए।