देश के कई हिस्सों में गर्मी बढ़ने के साथ बिजली संकट भी बढ़ता जा रहा है। गर्मी की वजह से बिजली की मांग बढ़ी है, पर कोयला संकट की वजह से कई राज्यों को बिजली कटौती करनी पड़ रही है। इस बीच, सरकार बिजली संयंत्रों को कोयला पहुंचाने के समय को कम करने के लिए पैसेंजर ट्रेनों को निरस्त करने की तैयारी कर रही है। फिलहाल इस संकट का कोई हल नजर नहीं आ रहा है।
भारत में करीब 70 फीसदी बिजली की मांग थर्मल पावर प्लांट से पूरी की जाती है। गर्मी में मांग बढ़ने से बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की मांग बढ़ गई है। पर, तमाम कोशिशों के बावजूद कोयला मंत्रालय मांग और आपूर्ति में अंतर को पूरा करने में विफल रहा है। इसलिए कोयला संकट की वजह से बिजली संयंत्रों में कोयला स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है। करीब 60 फीसदी प्लांट क्रिटिकल स्टेज पर हैं।
केंद्रीय बिजली प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक, 27 अप्रैल को 106 कोयला आधारित बिजली संयंत्र नाजुक स्थितियों से गुजर रहे हैं। यानि इन संयंत्रों के पास जरूरत के हिसाब से चंद दिनों का कोयला बचा है। ऐसे में बिजली संयंत्रों तक फौरन कोयला की आपूर्ति नहीं हुई, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। क्योंकि, सरकार के तमाम दावों के बावजूद बिजली संयंत्रों के पास कोयला कम हो रहा है।
आंकड़े बताते हैं कि एक अप्रैल को 80 बिजली उत्पादन संयंत्र नाजुक स्थितियों में थे। सरकार के बिजली संयंत्रों को आपूर्ति बढ़ाने के दावों के बावजूद बिजली उत्पादन संयंत्रों के पास कोयले का स्टॉक कम हो रहा है। तकरीबन प्रतिदिन एक बिजली संयंत्र नाजुक स्थितियों में पहुंच रहा है। यही वजह है कि 20 अप्रैल को ऐसे बिजली संयंत्रों की संख्या 106 पहुंच गई और अभी तक बनी हुई है।
गर्मी के साथ बिजली की मांग भी बढ़ी है। मंगलवार को बिजली की मांग 201.066 गीगावॉट तक पहुंच गई। मंत्रालय का कहना है कि मई में बिजली की मांग में और वृद्धि हो सकती है।